मोदी की डिग्री पर ‘आप’ के इन सवालों का कौन देगा जवाब

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय पर हमला बोलते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने बुधवार को यह बताने को कहा है कि क्या वर्ष 1978 में विश्वविद्यालय के पास कंप्यूटर थे?

आप के नेता आशुतोष ने यहां मीडिया से प्रधानमंत्री मोदी के स्नातक के अंक-पत्र और डिग्री में अंतर का उल्लेख करते हुए कहा, “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जो अंक-पत्र जारी किए हैं, उसमें नाम और परीक्षार्थी के अंक छपे हुए हैं। जबकि वर्ष 1978 में जो अन्य छात्र उतीर्ण हुए उनके नाम और अंक हाथ से लिखे हुए हैं।”

नरेंद्र मोदी की डिग्री

नरेंद्र मोदी की डिग्री पर आशुतोष ने घेरा

आप नेता ने कहा, “इसी तरह नरेंद्र मोदी की डिग्री में विश्वविद्यालय का लोगो आधुनिक फॉन्ट में छपा है, जबकि असली डिग्री का फॉन्ट साधारण है। यह दर्शाता है कि डिग्री फर्जी है।”

आप ने डिग्री के असली होने और इसका सत्यापन कर लिए जाने के विश्वविद्यालय के दावे का भी विरोध किया।

महाराष्ट्र स्थित सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा ‘सूचना के अधिकार’ के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से मिले जवाब का हवाला देते हुए आशुतोष ने कहा, “विश्वविद्यालय ने तब कहा था कि वह तीन-चार दशक पुराने रिकार्ड नहीं रखता।”

उन्होंने कहा, “मंगलवार को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने दावा किया कि उन लोगों ने दस्तावेजों को सत्यापित किया है और मोदी की डिग्री असली है। जबकि गलगली ने वर्ष 2015 में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए वर्ष 1978 में स्नातक बने सभी की एक सूची मांगी थी, तो दिल्ली विश्वविद्यालय ने जवाब में कहा था कि वह तीन-चार दशक पुराने रिकार्ड नहीं रखता।”

उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय ने या तो आरटीआई के जवाब में झूठ बोला या मंगलवार को झूठ बोला। क्योंकि जब कोई रिकार्ड ही नहीं है तो किस तरह से उसका सत्यापन किया गया?”

उन्होंने विश्वविद्यालय से केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश का पालन करने के लिए कहा, जिसने मोदी की डिग्री को सार्वजनिक करने को कहा है।

आप के दूसरे नेता दिलीप पांडेय ने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। उसके लोगों को सत्तारूढ़ पार्टी के नेता के प्रति नहीं, देश के संविधान के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।”

आप के नेताओं का एक समूह प्रधानमंत्री मोदी की बी.ए. की डिग्री की जांच करने मंगलवार को विश्वविद्यालय गया था, लेकिन उनकी कुलपति से मुलाकात नहीं हो पाई थी।

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