धोनी की इन खासियतों की वजह से DRS को अब कहा जाने लगा है धोनी रिव्यू सिस्टम !

महेंद्र सिंह धोनी. आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान. भरतीय टीम में लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में विकेट कीपिंग करते हैं. पहले कप्तान भी थे.

क्रिकेट में डीआरएस के इस्तेमाल की खूब आलोचना करते थे. कहते थे कि जब तक डीआरएस 100% सही फ़ैसले नहीं देगा, उसका इस्तेमाल नहीं करेंगे.

यही वजह थी कि इनकी कप्तानी में द्विपक्षीय सीरीज़ में डीआरएस का इस्तेमाल बहुत ही कम देखा गया. इंडिया को सिर्फ़ आईसीसी इवेंट्स में ही इसका इस्तेमाल करना पड़ता था.

लेकिन इसके बावजूद धोनी ने रिव्यू करने में मास्टरी हासिल कर ली. इस हद तक कि डीआरएस को धोनी रिव्यू सिस्टम कहा जाने लगा.

धोनी के रिव्यू लेने के फ़ैसले सही साबित होने लगे और एक समय आ गया जब ये धोनी का हथियार बन गया. इंडिया को इसका भी काफ़ी फायदा मिला. टीम को मालूम होता था कि कब रिव्यू लेना है और कब उसे ख़राब होने से बचाना है.

आईपीएल के आख़िरी लीग मैच में चेन्नई भी एक ऐसी ही स्थिति से दो-चार हुई. मौका था पावरप्ले में ही चल रहे चौथे ओवर का. केएल राहुल बहुत तेज़ी से रन बना रहे थे.

अभी पावरप्ले चालू था और राहुल खुद हाफ़-सेंचुरी के नज़दीक पहुंच रहे थे. ओवर की पांचवी गेंद को हरभजन ने लूप देते हुए ऑफ़ स्टंप के काफ़ी बाहर फेंका.

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केएल राहुल ने बाहर निकल कर उसे स्वीप करने की सोची. किया भी. लेकिन इस फेर में गेंद बल्ले से मिल नहीं पाई और हरभजन सिंह ने अपील कर दी.

पीछे से धोनी भी अपील में खड़े हुए. लेकिन उन्हें गेंद उठाने की ज़्यादा जल्दी थी. वो रन बचाने की जुगत में थे. पीछे पलटे. हरभजन अभी भी अपील कर रहे थे. शेन वॉटसन ने अब तक बॉल उठा ली.

जब धोनी अपनी जगह पर वापस आ रहे थे, वो इशारा कर रहे थे. एक बार के लिए ऐसा लगा कि उन्होंने अम्पायर से रिव्यू करने के लिए कहा है. लेकिन ऐसा नहीं था. वो असल में हरभजन को बता रहे थे कि गेंद राहुल के ग्लव्स से लगकर गई थी.

हरभजन को पहली बार में समझ नहीं आया. क्यूंकि धोनी का इशारा बहुत कुछ रिव्यू करने के इशारे जैसा लग रहा था. धोनी ने कन्फ्यूज़न दूर करने के लिए हरभजन से कहा, “ग्लव्स लगा है.” हरभजन चुप-चाप अपने बॉलिंग मार्क पर चले गए.

टीवी पर रीप्ले आया तो साफ़ दिखाई दिया कि राहुल के ग्लव्स से लगकर गेंद पीछे गई थी. धोनी पूरी तरह से सही साबित हुए. एक बार फिर. और डीआरएस का धोनी रिव्यू सिस्टम कहा जाना भी सही ही लग रहा था.

 

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