धरती पर इनको मानते हैं भगवान शिव का दूसरा रूप, भोलेनाथ स्वयं देते हैं दर्शन…
भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। सात्विक और तामसिक इन दो पद्धतियों से शिव जी की आराधना की जाती है।
सात्विक पूजा में फल, फूल, गंगाजल इत्यादि का प्रयोग किया जाता है जबकि तामसिक में तंत्र मंत्र के उपयोग से शिव जी को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।
वैसे भी भगवान शिव को तंत्र शास्त्र का देवता कहा जाता है, अघोरपंथ के जन्मदाता भी वही माने जाते हैं।
भगवान शिव के पांच रूप हैं और इनमें से एक है अघोरी। ऐसे में अघोरियों को धरती पर शिव के जीवित रूप की मान्यता प्रदान की गई है।
अघोरियों का अपना एक समुदाय होता है जिसका बाकी की दुनिया से कोई संबंध नहीं होता है।
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अघोर उसे कहते हैं जो इंसान सहज, सरल और अबोध अवस्था में होता है, जिस पर दुनियादारी का कोई प्रभाव नहीं है। वे एक शिशु के समान पवित्र होते हैं।
बाहर से देखने पर वे बड़े रूखे स्वभाव के प्रतीत होते हैं, लेकिन उनका दिल बहुत कोमल होता है। उनमें जन कल्याण की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। उनकी दृष्टि में सभी समान होते हैं, वे किसी के प्रति भेदभाव की भावना को नहीं अपनाते हैं।
हालांकि उनका क्रोध बहुत ही भयंकर होता है। यदि वे किसी से नाराज हो जाते हैं तो उस इंसान की जिंदगी का विनाश होने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके विपरीत जब वे किसी से खुश होकर उसे आशीर्वाद देते हैं तो इसका बहुत ही शुभ फल मिलता है।