देहरादून आर्टिफिशियल बारिश करवाने की कर रहा तैयारी, एक्सपर्ट्स से चल रही बात !

रिपोर्ट- अमित

देहरादून : उत्तराखंड  के जंगलों में  लगी आग पर  काबू पाने के लिए अरब देशों की तर्ज पर अब उत्तराखंड में भी आर्टिफिशियल बारिश बरसेगी | जिसका खाका वन विभाग के आला अफसरों ने तैयार कर लिया है |

और उन देशों के आर्टिफिशियल बारिश के एक्सपर्ट से संपर्क किया जा रहा है | जिन देशों में ऐसी परिस्थितियों में आर्टिफिशियल बारिश कराई जाती है |

हर साल उत्तराखंड की जल रही वन संपदा को बचाने के लिए वन विभाग एक नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने जा रहा है | जिसको लेकर धू-धू कर जल रही उत्तराखंड की वन संपदा बचेगी साथ ही  सूखे पड़ने जैसी हालातों पर भी काबू पाया जा सकेगा |

जी हां, उत्तराखंड वन विभाग अरब देशों से संपर्क कर अब उत्तराखंड में आर्टिफिशियल बारिश करने जा रहा है | जिसके लिए वन विभाग की ओर से सभी खाका तैयार कर लिया गया है और जल्द ही अन्य देशों की तरह उत्तराखंड में भी आर्टिफिशियल बारिश देखी जा सकेगी | इस टेक्नोलॉजी को धरातल पर उतारने के लिए कितना खर्च लगेगा उसके बारे में वन विभाग के अधिकारी बातचीत कर रहे है  |

उत्तराखंड में जंगलों की आग सबसे बड़ा विषय है और हर साल हजारों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में खाक हो जाते हैं | साथ ही इसके जंगली जानवर एवं वन संपदा भी पूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं | लगभग 5 सालों से बदस्तूर उत्तराखंड की वन संपदा जंगल आग की चपेट में खत्म हो गए हैं |

जिसको देखते हुए वन विभाग की ओर से इस टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया है साथ ही अरब देशों से संपर्क कर इस आर्टिफिशियल रेनटेक्नोलॉजी को उत्तराखंड के धरातल पर उतारा जाएगा | जिसकी तैयारियां पूरी तरह कर ली गई हैं  |

 

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लेकिन यह टेक्नोलॉजी कितनी कारगर साबित होगी | यह फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता | लेकिन अरब देशों की तर्ज पर शुरू होने वाली टेक्नोलॉजी अगर सही साबित होती है तो शायद धू-धू कर जलने वाले हर साल उत्तराखंड की वन संपदा और जंगल बच पाएंगे  |

वहीं पर्यावरणविद अनिल जोशी का कहना है की प्रकृति के सामने प्राकृतिक संसाधन सटीक नही बैठते हैं और जलवायु परिवर्तन का मामला हो तो आर्टिफिशियल बारिश की बजाय हम प्रकृति से जुड़े और हमको यह कोशिश करनी चाहिए कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से पहले हम ऐसी स्थिति रखें |

ताकि हम बड़ी संख्या में जंगलों के बीच पानी रख पाए प्रकृति को बचा पाए अन्य ऐसे संसाधन जुटाए ताकि आग लगने से पहले अन्य कार्य संपन्न हो जाए और जो घटनाएं होती हैं उस पर तुरंत विराम लग जाए |

अरब देशों की तर्ज पर आर्टिफिशियल बारिश का कितना असर उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर पड़ेगा या कितना इस टेक्नोलॉजी का फायदा उत्तराखंड में होगा | यह कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन प्रकृति के सामने प्राकृतिक चीजें नहीं साबित होती है लेकिन हर साल उत्तराखंड के जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल उत्तराखंड में किया जा रहा है ताकि वनाग्नि और सूखे पड़ जाना जैसे हालातो पर भी काबू पाया  जा सके  |

 

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