देश में बढ़ रही हवाई यात्रियों की संख्या पर घाटे में चल रही है एयरलाइन कंपनियां
नई दिल्ली : आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को आखिरकार कंपनी से इस्तीफा देना ही पड़ा। जहां यह पहली बार नहीं है जब किसी एयरलाइन कंपनी को बंद होना पड़ा या फिर उसके मालिक को निकलकर बेचना पड़ा। और ऐसा आजादी के बाद से लेकर के अभी तक कई बार हो चुका है।
विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार –
बम की सूचना के बाद मुंबई-सिंगापुर उड़ान की सुरक्षित लैंडिंग
बता दें की हवाई यात्रियों की संख्या के मामले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
वहीं दिल्ली, मुंबई जैसे कई हवाई अड्डों पर क्षमता पूरी हो चुकी है। ऐसे में फिर भी देशी हवाई कंपनियों की कमाई लगातार गिरती जा रही है। 1994 के बाद से लेकर के अभी तक कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं या फिर उनका चल रही कंपनियों में विलय हो चुका है।
यह हैं घाटे की बड़ी वजह –
देखा जाये तो एयर इंडिया से लेकर इंडिगो, जेट, गो एयर जैसी सभी प्रमुख एयरलाइन कंपनियां घाटे के दौर से गुजर रही हैं। गला-काट स्पर्धा, हवाई ईंधन के दामों में बढ़ोतरी, परिचालन खर्च में इजाफा और आर्थिक मंदी ने कई कंपनियों का घाटा काफी बढ़ा दिया है। पिछले एक साल में हवाई ईंधन पर हवाई कंपनियों को अपनी लागत का 55 फीसदी हिस्सा खर्च करना पड़ रहा था।
सस्ता है किराया –
दरअसल अन्य देशों के मुकाबले भारत में हवाई किराया काफी सस्ता है। यहां पर बेसिक किराया 700 रुपये से शुरू होता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर कंपनियां हर वक्त ऑफर निकालती रहती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियां चाहती हैं उनके विमान पर सभी सीटें फुल रहें। इसके बावजूद कंपनियां घाटा सह रही हैं।
जानिए देश में प्रमुख हवाई कंपनियां –
फिलहाल देश में एयर इंडिया, इंडिगो, जेट एयरवेज, एयर इंडिया, स्पाइसजेट, गो एयर, विस्तारा, एयर एशिया आदि प्रमुख एयरलाइन कंपनियां ही विमान सेवाएं मुहैया करा रही हैं। 1953 में देश में डेक्कन एयरवेज, एयरवेज इंडिया, भारत एयरवेज, हिमालयन एविएशन, कलिंग एयरलाइंस, इंडियन नेशनल एयरवेज, एयर इंडिया और एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां हुआ करती थी।
फिर इन कंपनियों का एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन में विलय कर दिया गया था। तब पुष्पक एविएशन शारजाह से बॉम्बे की उड़ान भरा करता था।
1994 में आई थीं कई नई कंपनियां
1994 में सरकार द्वारा जारी की गई नए उड़ान नीति के चलते कई निजी कंपनियां खुली। इनमें एयर सहारा, मोदीलुफ्त, दामानिया एयरवेज, एनईपीसी एयरलाइन, एयर डेक्कन, किंगफिशर, पैरामाउंट एयरवेज शामिल हैं।
हालांकि यह सभी कंपनियां धीरे-धीरे बंद होती गईं। सहारा को जेट ने तो डेक्कन को किंगफिशर ने खरीद लिया। किंगफिशर और पैरामाउंट बाद में बंद हो गई।
वहीं सरकार को देखना होगा कि घाटे के बजाए हवाई कंपनियों को भी लाभ मिले, इसके लिए उसे अपनी नीतियों में काफी परिवर्तन करना होगा। वर्ना आने वाले दिनों में और कंपनियों का भी ऐसा हाल हो सकता है।
देश में बढ़ रही हवाई यात्रियों की संख्या पर घाटे में चल रही है एयरलाइन कंपनियां
नई दिल्ली : आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को आखिरकार कंपनी से इस्तीफा देना ही पड़ा। जहां यह पहली बार नहीं है जब किसी एयरलाइन कंपनी को बंद होना पड़ा या फिर उसके मालिक को निकलकर बेचना पड़ा। और ऐसा आजादी के बाद से लेकर के अभी तक कई बार हो चुका है।
विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार –
बता दें की हवाई यात्रियों की संख्या के मामले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं दिल्ली, मुंबई जैसे कई हवाई अड्डों पर क्षमता पूरी हो चुकी है।
ऐसे में फिर भी देशी हवाई कंपनियों की कमाई लगातार गिरती जा रही है। 1994 के बाद से लेकर के अभी तक कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं या फिर उनका चल रही कंपनियों में विलय हो चुका है।
यह हैं घाटे की बड़ी वजह –
देखा जाये तो एयर इंडिया से लेकर इंडिगो, जेट, गो एयर जैसी सभी प्रमुख एयरलाइन कंपनियां घाटे के दौर से गुजर रही हैं।
गला-काट स्पर्धा, हवाई ईंधन के दामों में बढ़ोतरी, परिचालन खर्च में इजाफा और आर्थिक मंदी ने कई कंपनियों का घाटा काफी बढ़ा दिया है। पिछले एक साल में हवाई ईंधन पर हवाई कंपनियों को अपनी लागत का 55 फीसदी हिस्सा खर्च करना पड़ रहा था।
सस्ता है किराया –
दरअसल अन्य देशों के मुकाबले भारत में हवाई किराया काफी सस्ता है। यहां पर बेसिक किराया 700 रुपये से शुरू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर कंपनियां हर वक्त ऑफर निकालती रहती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियां चाहती हैं उनके विमान पर सभी सीटें फुल रहें। इसके बावजूद कंपनियां घाटा सह रही हैं।
जानिए देश में प्रमुख हवाई कंपनियां –
फिलहाल देश में एयर इंडिया, इंडिगो, जेट एयरवेज, एयर इंडिया, स्पाइसजेट, गो एयर, विस्तारा, एयर एशिया आदि प्रमुख एयरलाइन कंपनियां ही विमान सेवाएं मुहैया करा रही हैं।
1953 में देश में डेक्कन एयरवेज, एयरवेज इंडिया, भारत एयरवेज, हिमालयन एविएशन, कलिंग एयरलाइंस, इंडियन नेशनल एयरवेज, एयर इंडिया और एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां हुआ करती थी।
फिर इन कंपनियों का एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन में विलय कर दिया गया था। तब पुष्पक एविएशन शारजाह से बॉम्बे की उड़ान भरा करता था।
1994 में आई थीं कई नई कंपनियां
1994 में सरकार द्वारा जारी की गई नए उड़ान नीति के चलते कई निजी कंपनियां खुली। इनमें एयर सहारा, मोदीलुफ्त, दामानिया एयरवेज, एनईपीसी एयरलाइन, एयर डेक्कन, किंगफिशर, पैरामाउंट एयरवेज शामिल हैं।
हालांकि यह सभी कंपनियां धीरे-धीरे बंद होती गईं। सहारा को जेट ने तो डेक्कन को किंगफिशर ने खरीद लिया। किंगफिशर और पैरामाउंट बाद में बंद हो गई।
वहीं सरकार को देखना होगा कि घाटे के बजाए हवाई कंपनियों को भी लाभ मिले, इसके लिए उसे अपनी नीतियों में काफी परिवर्तन करना होगा। वर्ना आने वाले दिनों में और कंपनियों का भी ऐसा हाल हो सकता है।