देश देता है महिला सशक्तिकरण को बढ़वा, लेकिन आर्मी चीफ नहीं चाहते महिलाओं का सशक्तिकरण

नई दिल्ली: भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने हाल ही में महिलाओं की भूमिका को लेकर ऐसा बयान दिया जिसकी जमकर आलोचना हो रही है. उन्होंने कहा था कि आर्मी में महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाएं इसलिए नहीं दी जाती हैं क्योंकि उनके ऊपर बच्चों को बड़ा करने की जिम्मेदारी होती है. बिपिन रावत यहीं पर नहीं रुके उन्होंने यहां तक कह डाला कि युद्धक्षेत्र में महिलाओं को एक्स्ट्रा सुविधाएं देनी पड़ेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं साथी जवानों पर ताक-झांक करने का आरोप भी लगा सकती हैं. और तो और ग्रामीण परिवेश से आए जवान किसी महिला के ऑर्डर मानने के लिए तैयार नहीं हैं.

बिपिन रावत

साथ ही उन्होंने कहा कि मान लीजिए युद्धक्षेत्र पर कोई लेडी अफसर है. ऑडर्स के मुताबिक उस लेडी अफसर को सीओबी में एक हट मिलेगा, उसके बाद फिर उसे अलग से कमरा देना होगा. फिर उनकी तांका-झांकी की शिकायत होगी जिसके बाद हमें उन्हें एक अलग से शीट भी देनी होगी. यानी महिलाओं को लड़ाकू क्षेत्र पर भेजने के लिए एन नहीं कई मुश्किलों का सामना करना होगा.

सेना प्रमुख बिपिन रावत इस समस्या पर बात करते हुए आगे कहते हैं कि आर्मी में महिलाओं को 6 महीने की मेटर्निटी छुट्टियां नहीं दी जातीं. अब मान लीजिए मैं किसी महिला को कमांडिग ऑफिसर बनाता हूं, और वो बटालियन को कमांड कर रही हो तो, क्या उसे 6 महीने के लिए ड्यूटी से दूर रखा जा सकता है?

अब ऐसे समय में जब चारों ओर महिला सशक्तिकरण की बात हो रही हो तो सेना प्रमुख के ऐसे बयान से इस मुहिम को झटका लगना लाजिमी है. उनके महिलाओं को लेकर इन बयानों के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं.

LIVE TV