देश की सरकार चुनना जनता का हक है, हम कुछ नहीं कह सकते- सुप्रीम कोर्ट

23 मई को लोकसभा चुनाव की मतगणनना में वीवीपीएटी से निकलने वाली तमाम पर्चियों(100 फीसदी) का मिलान ईवीएम से कराने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत को अपना सरकार चुनने देना चाहिए, हम इसकेबीच नहीं आ सकते।

सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमआर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली पीठ पहले ही इस मामले में आदेश पारित कर चुकी है, ऐसे में याचिका पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है। हम बार-बार एक ही तरह की याचिका पर विचार नहीं कर सकते।

पीठ ने याचिकाकर्ता टेक फॉर ऑल से कहा कि आप विघ्न डाल रहे हैं। पीठ ने कहा, %लोगों द्वारा सरकार चुना जाता है और हम इसकेरास्ते में नहीं आना चाहते। कृपया देश को अपना सरकार चुनने दिया जाए।’

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याचिका में दावा किया गया था कि ईवीएम के डिजाइन में कुछ खामियां हैं, लिहाजा वीवीपीएटी से निकलने वाली तमाम पर्चियों(100 फीसदी) का मिलान ईवीएम किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील ने मंगलवार को इस याचिका का उल्लेख करते हुए जल्द सुनवाई की मांग की थी लेकिन पीठ इस याचिका पर विचार करने केपक्ष में नहीं थी। लेकिन वकील द्वारा बार-बार कहने पर अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

मालूम हो कि गत सात मई को सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू समेत 21 विपक्षी दलों केनेताओं द्वारा वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्चियों में से कम से कम 25 फीसदी पर्चियों का मिलना ईवीएम से कराने की मांग को खारिज कर दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हर विधनसभा सीट में पांच वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराने का आदेश दिया था।

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