देवताओं ने मनाई वृंदावन में देव दीपावली

मथुरा। कार्तिक माह की पूर्णिमा को शास्त्रों में देव दीपावली माना गया है। देवोत्थान एकादशी को देव जागने के बाद इस दिन देवता दीपावली मनाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण की जन्मभूमि आज जय श्री कृष्णा के जयकारों से गुंज उठी। पंचकोसीय परिक्रमा से लेकर बांकेबिहारी मंदिर और सप्तदेवालयों में कई सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन हुए। इस मौके पर निकली चैतन्य महाप्रभु की शोभायात्रा में भक्तों ने प्रभु के महामंत्र का जाप किया।

देव दीपावली

भोर की पहली किरण के साथ भक्तों की भारी भीड़ परिक्रमा के लिए निकल पड़ी। सुबह से ही परिक्रमा मार्ग राधारानी के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन किया। दान-पुण्य कर मनोरथ पूर्ण करने के लिए ठाकुरजी की आराधना भी की। सप्त देवालयों में उल्लास की लहरें हिलोरें मार रहीं थी। आकर्षक परिधानों में सजे-धजे ठाकुरजी ने जब भक्तों को दर्शन दिए तो भक्त निहाल हो गए। राधाकांत मंदिर से शुरू हुई गोपालजी की शोभायात्रा जब सप्तदेवालयों की परिक्रमा करने निकली तो हजारों श्रद्धालु शोभायात्रा में शामिल हो गए। बैंड बाजों की धुन पर थिरकते श्रद्धालुओं से वातावरण भक्तिमय हो रहा था। शाम को ठा. राधादामोदर महाराज ने रास रासेश्वर के रूप में दर्शन दिए। देर रात तक मंदिर के पट बंद होने के बाद भी भक्तों का रेला मंदिर में आता रहा।

कार्तिक पूर्णिमा पर ठा. बांकेबिहारी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के पट खुलने से पहले ही हजारों श्रद्धालुओं का रेला मंदिर के आसपास जमा हो गया। जैसे ही मंदिर के पट खुले श्रद्धालुओं का रेला मंदिर में टूट पड़ा। ऐसे में कई श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भारी भीड़ के कारण वृद्ध और बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मंदिर में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड व पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, दोपहर राजभोग आरती तक भीड़ का रेला टूटने का नाम नहीं ले रहा था। शाम को एकबार फिर मंदिर के पट खुले तो माहौल कुछ सुबह जैसा ही दिखाई दिया।

कार्तिक पूर्णिमा पर इस्कॉन मंदिर में नियम सेवा करने आए दुनियाभर के हजारों विदेशी श्रद्धालुओं ने शाम को दीपदान किया। इस दौरान मंदिर परिसर दीपों की जगमग रोशनी से दमकने लगा। हरे राम हरे कृष्ण.. की धुन पर विदेशी भक्तों को नृत्य करते देख दूसरे श्रद्धालु भी उनका साथ देने लगे।

चैतन्य महाप्रभु के वृंदावन आगमन पंचशती समारोह समिति ने मथुरा मार्ग स्थित गांव अक्रूर से चैतन्य महाप्रभु की शोभायात्रा निकाली। यह शहर के अनेक इलाकों में होते हुए यमुना तट स्थित सिद्ध स्थली इमलीतला आई। शोभायात्रा में ढोल, मृदंग और मंजीरों की थाप पर नाम संकीर्तन करते हजारों देशी विदेशी श्रद्धालु आकर्षण का केंद्र बने रहे। श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

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