जानें क्या है देवोत्थान एकादशी, धर्म के साथ क्या है वैज्ञानिक नाता…
देवुत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह का भी प्रावधान है. देवउठनी एकादशी को देवउठनी एकादशी हरिप्रबोधिनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसी एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णुा चार महीने की योग निद्रा के बाद जाग्रत होते हैं.
मान्यषता है कि इस दिन तुलसी विवाह के माध्युम से उनका आह्वाहन कर उन्हें जगाया जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी के पौधे का विवाह हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्नउ किया जाता है. तुलसी विवाह का आयोजन करना अत्यंवत मंगलकारी और शुभ माना जाता है. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णुव को तुलसी दल अर्पित करने और शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह कराने से सभी कष्टोंक का निवारण होता है और भक्तस को श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्तन होती है.
तुलसी विवाह कब है?
हिन्दूव पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लै पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी (Dev को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. कई जगह इसके अगले दिन यानी कि द्वादशी को भी तुलसी विवाह किया जाता है. जो लोग एकादशी को तुलसी विवाह करवाते हैं वे इस बार 8 नवंबर 2019 को इसका आयोजन करेंगे. वहीं, द्वादशी तिथि को मानने वाले 9 नवंबर 2019 को तुलसी विवाह करेंगे.
तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है, लेकिन कई जगहों पर इस विवाह को द्वादशी तिथि को भी करते हैं.
देवउठनी एकादशी की तिथि: 8 नवंबर 2019
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
द्वादशी तिथि: 9 नवंबर 2019
द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
द्वादशी तिथि समाप्तद: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक
तुलसी विवाह का महत्व:
हिन्दूव धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व1 है. इस दिन भगवान विष्णुट समेत स
तुलसी विवाह का महत्व:
हिन्दूव धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्वह है. इस दिन भगवान विष्णुष समेत सभी देवगण चार महीने की योग निद्रा से बाहर आते हैं, यही वजह है कि इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. मान्यशता है कि इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न करवाने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है. साथ ही जिन लोगों के विवाह नहीं हो रहे हैं उनका रिश्ता पक्का हो जाता है. इतना ही नहीं मान्य ता है कि जिन लोगों के घर में बेटियां नहीं है उन्हें तुलसी विवाह कराने से कन्यारदान जैसा पुण्य् मिलता है.
तुलसी विवाह की पूरी विधि
– परिवार के सभी सदस्य और विवाह में शामिल होने वाले सभी अतिथि नहा-धोकर व अच्छे कपड़े पहनकर तैयार हो जाएं.
– जो लोग तुलसी विवाह में कन्यादान कर रहे हैं उन्हेंथ व्रत रखना जरूरी है.
– शुभ मुहूर्त के दौरान तुलसी के पौधे को आंगन में पटले पर रखें. आप चाहे तो छत या मंदिर स्थान पर भी तुलसी विवाह किया जा सकता है.
– अब एक अन्यव चौकी पर शालिग्राम रखें. साथ ही चौकी पर अष्टादल कमल बनाएं.
– अब उसके ऊपर कलश स्थाकपित करें. इसके लिए कलश में जल भरकर उसके ऊपर स्वा स्तिक बनाएं और आम के पांच पत्ते वृत्ताकार रखें. अब एक लाल कपड़े में नारियल लपेटक