दुनिया की वो पहली महिला जिन्हें मिली थी पीएचडी की डिग्री ! देखें कौन है वो …

तुम दुनिया की पहली औरत नहीं हो जिसे पीरियड हुआ, पहली औरत नहीं हो जो पढ़ने के लिए घर से निकली है. जो नौकरी करती है. जिसका बच्चा हुआ है.

जिसे दफ्तर के साथ घर भी मैनेज करना पड़ता है. ऐसा बहुत कुछ है जो हम लड़कियां अक्सर सुनती हैं. कॉमन यही है कि तुम दुनिया की पहली लड़की नहीं हो.

आपको पता है आज गूगल एक औरत का बर्थडे सेलिब्रेट कर रहा है. उस औरत ने जो किया वो दुनिया में पहले किसी और औरत ने नहीं किया था. रास्ता उसके लिए मुश्किल था क्योंकि वो एक औरत थी. लेकिन उसने अपनी मंजिल हासिल करके ही दम लिया.

उस औरत का नाम है एलिना कॉर्नारो पिस्कोपिया. आज से 373 साल पहले पैदा हुई थीं. 5 जून 1646 में वेनिस में. इटली का एक शहर है. जानते हैं उनकी उपलब्धि क्या है?

वो पूरी दुनिया की पहली औरत थीं जिन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. पीएचडी यानी वही डिग्री जिसके बाद नाम के आगे डॉक्टर लग जाता है.एलिना को हेलेन कॉर्नारो के नाम से भी जाना जाता है.

सात साल की उम्र में ही उनके पेरेंट्स को पता चल गया था कि लड़की कमाल करने वाली है. वह इटालियन के अलावा ग्रीक, लैटिन, हीब्रू, स्पैनिश, फ्रेंच और अरबी भाषाओं की जानकार थीं. उन्हें वायलिन समेत चार म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने आते थे.

उनकी संगीत की समझ भी बेहतरीन थी. उन्होंने गणित और एस्ट्रोनॉमी की भी पढ़ाई की. लेकिन उनका सबसे ज्यादा इंटरेस्ट फिलोसॉफी (दर्शनशास्त्र) और थियोलॉजी (धर्मशास्त्र) में था.

 

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औरत होने की वजह से पहली बार में नहीं मिली थी पीएचडी की डिग्री

एलिना ने 1672 में यूनिवर्सिटी ऑफ पडुआ में एडमिशन लिया. इससे पहले 1669 में उन्होंने कॉलक्वी ऑफ क्राइस्ट (ईसा मसीह की बातें) का स्पैनिश से इटालियन में ट्रांसलेशन किया था.

पडुआ के बिशप को पता चला कि एलिना धर्मशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं तो उन्होंने डिग्री देने से इनकार कर दिया. वजह? क्योंकि वह एक महिला थीं.

 

एलिना को डॉक्टरेट मिलने का किस्सा भी काफी दिलचस्प है.

बिशप के इनकार के बाद एलिना ने फिलोसॉफी में पीएचडी के लिए आवेदन किया. तब तक वह काफी चर्चित हो चुकी थीं. पीएचडी के लिए उनकी मौखिक परीक्षा औरों से अलग हुई.

इसके लिए यूनिवर्सिटी की बजाए पडुआ कैथेड्रल को वेन्यू बनाया गया. उनको सुनने के लिए कई प्रोफेसर, छात्र, सीनेटर इकट्ठे हुए थे. इटली की कई यूनिवर्सिटियों को न्यौता भेजा गया था. इस खास दिन के लिए.

एरिस्टोटल यानी अरस्तु को जानते हैं? दुनिया के सबसे महान फिलोसॉफर्स यानी दर्शनशास्त्रियों में से एक थे. एलिना ने अपनी मौखिक परीक्षा में अरस्तु की लिखी सबसे मुश्किल बातों को समझाया.

इसके लिए तैयार किया गया पैनल एलिना से इतना इंप्रेस हुआ कि सीक्रेट बैलेट करने की बजाए सीधे ही उन्हें पीएचडी देने के लिए सहमति दे दी.

1678 में एलिना को फिलोसॉफी में डॉक्टरेट की उपाधि दी गई. तब वह 32 साल की थीं. किसी भी विषय में पीएचडी हासिल करने वाली वह दुनिया की पहली महिला बनी.

 

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