मुजफ्फरनगर की बेटी को सलाम, हिम्मत से लिख रही अपनी तकदीर

मुजफ्फरनगर। इच्छाशक्ति इंसान का भविष्‍य तय करती है। मजबूत इच्‍छाशक्ति हो तो कठिन से कठिन डगर भी आसान हो जाती है। शारीरिक कमियां भी अाड़े नहीं आती हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है मुजफ्फरनगर की दिव्यांग हलीमा की।

दिव्यांग हलीमा

दिव्यांग हलीमा का जज्बा

हलीमा ने हाथ ना होते हुए भी कभी हिम्मत नहीं हारी आैर वो करिश्मा कर दिखाया, जिसे सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाता है। मुजफ्फरनगर के शाहपुर क्षेत्र के गांव कसेरवा की रहने वाली हलीमा नाम की ये छात्रा जन्म से ही दिव्यांग है, मगर इसने आज तक अपनी इस कमी को करियर में कभी रोड़ा नहीं बनने दिया।

दिव्यांग हलीमा हाथ न होने की वजह से अपने पैरों से लिखती हैं। व‍ह  अपने घर के सारे काम पैरों से ही कर लेती हैं। गरीब परिवार में जन्मी हलीमा ने राष्ट्रीय इंटर काॅलेज शाहपुर से इंटर किया। इसके बाद स्वामी कल्याण देव डिग्री काॅलेज से वह बीए कर रही थीं, मगर आर्थिक कमजोरी ने उनकी शिक्षा को प्रभावित किया। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है।

हलीमा बड़ी होकर टीचर बनने का सपना साकार करने में लगी हैं। आर्थिक रूप से कमजोर हलीमा को आज तक सरकारी सहायता नहीं मिली है। बीमारी के चलते उनके पिता भी दुनिया छोड़ चुके हैं। लेकिन हलीमा का जज्बा कम नहीं हुआ और आज वह मुजफ्फरनगर के श्री राम ग्रुप ऑफ काॅलेज से LLB कर रही हैं। हालांकि, फीस जमा न कर पाने की वजह से उनका काॅलेज से नाम कटने तक की नौबत आ गई लेकिन काॅलेज के डायरेक्टर डॉ. कुलश्रेष्ठ ने उसकी आर्थिक कमी को दूर कर दिया।

दिव्यांग हलीमा के जज्बे की चर्चा हर जगह होती है। लोग उसकी मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। हलीमा के गांव कसेरवा व आसपास के गांवों के समाजसेवियों ने भी हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है। गांव कसेरवा में जिला पंचायत सदस्य अथर चौधरी के आवास पर पहुंचे गांव जौला निवासी जिला पंचायत सदस्य जब्बार चौधरी ने भी उसकी आर्थिक मदद कर उसे हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है।

हलीमा इस मदद से काफी उत्साहित है। उसका कहना है कि लोग के प्यार और साथ के सहारे अब वह अपने शिक्षक बनने का सपना जरूर पूरा करके दिखाएगी।

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