दिल्ली में हुए 2005 सीरियल ब्लास्ट मामले में आया कोर्ट का फैसला, सभी आरोपी दोषमुक्त
नई दिल्ली: दिल्ली में हुए 2005 सीरियल ब्लास्ट केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस केस में किसी को भी ब्लास्ट का दोषी नहीं माना है और तीन में से 2 आरोपियों को बरी कर दिया है हालांकि कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि चलाने के आरोप में तीसरे आरोपी को दोषी माना है और आरोपी तारिक डार को कोर्ट ने 10 साल सजा सुनाई है जो वह पहले ही काट चुका है तारिक 11 सालों से जेल में बंद है।
2005 में जब दिल्ली के लोग धनतेरस की खरीददारी करने बाजार में आये थे तभी यह घटना घटी थी इस घटना में 60 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे।
कोर्ट ने मुख्य आरोपी तारिक अहमद डार को गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होने के लिए 10 साल की सजा सुनाई. वह 11 साल से जेल में है जिसपर उसकी सजा पूरी मानी गई।
अन्य दो आरोपी मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजिल को बरी कर दिया कोर्ट ने 2008 में तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिल और मोहम्मद रफीक शाह डार पर आरोप तय किए थे पुलिस ने अपनी चार्जशीट में उन पर देश के खिलाफ जंग छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप लगाए थे इस मामले में पुलिस ने 250 से ज्यादा गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज करवाए थे।
यहाँ यहाँ हुए थे धमाके.
- सरोजनी नगर
- कालकाजी
- पहाड़गंज
पहला धमाका शाम 5:38 बजे पहाड़गंज में हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई और करीब 60 लोग घायल हुए।
दूसरा धमाका शाम 6:00 बजे गोविंदपुरी में हुआ, जिसमें 4 लोग घायल हुए।
तीसरा धमाका सरोजनी नगर में शाम 6:05 बजे हुआ। इसमें सबसे ज्यादा 50 लोगों की मौत हुई थी।
ये लोग बने थे हीरो.
पहले जांबाज बस ड्राइवर कुलदीप सिंह थे जिन्होंने इस धमाके में आंखें गंवा दीं थी लेकिन 80 लोगों की जान बचाई थी।
दूसरे हीरो एक जूस दुकान के मालिक लालचंद सलूजा थे जिन्होंने इस धमाके में अपनी जान तक गंवा दी लेकिन लोगों को इसका शिकार होने से बचा लिया।