दिल्ली महिला आयोग ने किया बड़ा काम, गठित की ‘ट्रांसजेंडर सेल’, सुनी जाएंगी हिंसा, उत्पीड़न की शिकायत !

एक बहुत ही बड़ा फैसला लिया गया है. दिल्ली महिला आयोग ने 1 जुलाई को आयोग में ट्रांसजेंडर सेल गठित किया है. इस सेल का काम ट्रांसजेंडरों के खिलाफ हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव की शिकायतों को देखना और ट्रांसजेंडर समाज के लिए जागरूकता पैदा करना होगा.

29 जून को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल आयोग की सदस्य प्रोमिला गुप्ता के साथ ट्रांसजेंडर समाज के कई लोगों से मिलीं और उनके समाज के सामने आने वाली परेशानियों को समझने की कोशिश की.

साथ ही उनसे ट्रांसजेंडर सेल की जिम्मेदारियों के बारे में सुझाव मांगे. यह मीटिंग दीप शिखा एनजीओ की सहायता से आयोजित की गई थी.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा के साथ मीटिंग में ट्रांसजेंडर समाज के लोगों ने अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की. उन्होंने अपने साथ हुए हिंसा, शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव और समाज में उनके प्रति लोगों की सोच के बारे में अपने कड़वे अनुभव बताए.

उन्होंने बताया कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव, पुलिस द्वारा उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन की वजह से उनकी रोजाना की जिंदगी में बहुत परेशानियां आती हैं.

उन्होंने बताया कि उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए बाहर जाने के लिए भी समूह में चलना पड़ता है. उदाहरण के लिए काजल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उसकी मर्जी के बगैर उसकी शादी कर दी गई और अब वह एक दोहरी जिंदगी जी रही है.

नैना (बदला हुआ नाम) ने अपने साथ हुए भयानक अनुभव के बारे में बताया कि कैसे केवल लड़कों के स्कूल में उसके साथ 3 लड़कों ने गैंगरेप किया था. स्कूल के अधिकारियों ने लड़कों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसको ही स्कूल से निकलने को मजबूर कर दिया गया, जिसकी वजह से वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई.

 

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‘शिकायत दर्ज करने से मना कर देती है पुलिस’

लगभग सभी लोगों ने पुलिस द्वारा उनके प्रति उनके समाज के प्रति भेदभाव और असंवेदनशीलता की घटनाओं के बारे में आयोग को बताया. उन्होंने बताया कि पुलिस उनको बिना सुने ही उनकी शिकायतों को दर्ज करने से मना कर देती है, उल्टा उनको ही दोषी बता दिया जाता है.

उदाहरण के लिए सपना (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उसको बिना कोई कारण बताए कई बार गिरफ्तार किया गया और सलाखों के पीछे रखा गया है. मीटिंग में एलजीबीटीक्यू समाज के भी कई सदस्य मौजूद थे, जिन्होंने बताया कि जब वे शिकायत दर्ज करवाने पुलिस के पास गए, तो पुलिस ने उनसे कहा कि अगर वे अपनी शिकायत दर्ज करवाना चाहते हैं, तो वे अपने कपड़े उतारकर लिंग जांच करवाएं.

इस समाज के लोगों ने पहचान की परेशानी के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि आधार कार्ड में थर्ड जेंडर का विकल्प होने के बावजूद अपने हिसाब से उनका लिंग तय कर देते हैं और उनकी बात नहीं सुनते, जिस वजह से उनको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ट्रांसजेंडर समाज के लोगों ने सुझाव दिया कि ट्रांसजेंडर सेल के संचालन में समाज के लोगों से परामर्श लिया जाए. आयोग ने उनके सुझाव को मान लिया है और आयोग ट्रांसजेंडर समाज के साथ-साथ एलजीबीटीक्यू समाज के लोगों की भी सेल चलाने में सहायता लेगा.

इसी साल मार्च में महिला सुरक्षा पदयात्रा के दौरान दिल्ली महिला आयोग ने उस समय ट्रांसजेंडर सेल बनाने की घोषणा की थी, जब आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ट्रांसजेंडर समाज के लोगों और सैकड़ों वालंटियर के साथ पैदल चली थीं और उनकी तरफ से कई शिकायतें आयोग को मिलीं.

 

‘ट्रांसजेंडर बिल लोकसभा में पास नहीं हुआ’

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘हमारे देश में ट्रांसजेंडर और एलजीबीटीक्यू समाज के लोगों की दुर्दशा देखकर बहुत दर्द होता है. खासकर ट्रांसजेंडरों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ रही है. आयोग का ट्रांसजेंडर सेल, ट्रांसजेंडर समाज द्वारा झेली जा रही समस्याओं पर ध्यान देगा.

साथ ही एलजीबीटीक्यू समाज के ऊपर हिंसा की शिकायतों को भी देखेगा. जब उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि ट्रांसजेंडर लोगों को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए, तब भी इसका अनुपालन नहीं हो रहा है.

यहां तक कि ट्रांसजेंडर बिल भी लोकसभा में पास नहीं हो पाया. हम इस समाज के साथ खड़े हैं और उनके लिए नीतिगत और जमीनी स्तर पर काम करेंगे.’

 

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