दिल्ली की इस सीट पर इन तीन नेताओं के बीच होगा कड़ा मुकाबला

देश की सबसे घनी आबादी वाली उत्तर पूर्वी लोक सभा सीट पर चुनावी मुकाबला हाईप्रोफाइल हो गया है। संसद से महज दस किमी की दूरी पर स्थित यह इलाका त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा है। इस सीट से तीनों प्रमुख दलों ने दिग्गज चेहरों को उतारा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा सांसद मनोज तिवारी, कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप पांडेय की साख दांव पर लगी है। मुस्लिम व पिछड़ा वर्ग बहुल इस सीट के तीनों प्रमुख प्रत्याशी ब्राह्मण हैं। यही नहीं, मनोज तिवारी व दिलीप पांडेय खुद को पूर्वांचली और शीला दीक्षित खुद को पूर्वांचल की बहू बताती हैं।
दिल्ली

विकास के पैमाने पर शेष दिल्ली से बहुत पीछे छूटी उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीनों दलों ने अपनी सियासी बिसात बिछा दी है। आप प्रत्याशी दिलीप पांडेय बीते करीब छह महीने से इलाके की गलियों की खाक छान रहे हैं। वहीं भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों का प्रचार अभियान भी रफ्तार पकड़ चुका है। भाजपा के लिए पिछला प्रदर्शन दुहराने की चुनौती है। जबकि कांग्रेस इस चुनाव से अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहती है। वहीं, आप दिल्ली से संसद का दरवाजा खटकाने की कोशिश में है।

मुखर नहीं हैं मतदाता
सीट पर मतदाता मुखर नहीं है। बातचीत में सीधा-सपाट जवाब देने की जगह वह अमूमन तीनों दलों की खूबियां व खामियों की बात करते नजर आते हैं। आखिर में उसकी चिंता इलाके के विकास के इर्दगिर्द घूमने लगती है। मतदाता चाहते हैं कि जो भी उनका सांसद बने वह क्षेत्र में विकास के पहिये को मनमाफिक रफ्तार दे सके। हालांकि, उसमें बीत सालों में हए विकास कार्यों के प्रति साफगोई भी दिखती है।

सिग्नेचर ब्रिज बना पहचान, पार्क में जैव विविधता संरक्षित

यमुना नदी पर बना सिग्नेचर ब्रिज उत्तर पूर्वी संसदीय क्षेत्र की पहचान बनता जा रहा है। इससे न सिर्फ लोगों की आवाजाही आसान हुई है, बल्कि इसका बेहतरीन ढांचा लुभाता भी है। दूसरी तरफ नदी के किनारे विकसित यमुना बॉयोडायवर्सिटी पार्क जैव विविधता संरक्षित करने के साथ यमुना को साफ करने की उम्मीद जगाता है। छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन यहां नदी को साफ करने का तरीका समझा जा सकता है। वहीं, यमुना विहार, दिलशाद गार्डन व तिमारपुर के सीमित दायरे में पॉश कालोनियां भी हैं।
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अनधिकृत कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का टोटा
अनधिकृत कॉलोनियों में पानी, सीवर, सड़क, नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। गोकलपुर व सीलमपुर नाले के किनारे सघन बसावट वाली कई बस्तियों का अतिक्रमण गोकलपुर व सीलमपुर के नाले करते रहते हैं। बारिश में अमूमन नाले का गंदा पानी घरों में भर जाता है। अतिक्रमण व अवैध पार्किंग भी इलाके की बड़ी समस्या है।

उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का इतिहास
परिसीमन के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र 2009 में अस्तित्व में आया। दस विधान सभा सीटों के साथ इस लोक सभा का गठन हुआ। इससे पहले यह पूर्वी दिल्ली लोक सभा सीट का हिस्सा था, जिसका गठन 1967 में हुआ था। बीते दो चुनावों में यह सीट एक बार कांग्रेस व एक बार भाजपा के हिस्से में रही। जबकि दस विधान सभाओं में से 9 फिलहाल आम आदमी पार्टी के पास है।

मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता- 22,47,586
पुरुष मतदाता- 12,31,454
महिला मतदाता-10,16,041
थर्ड जेंडर-91
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धर्म, जाति व वर्ग का समीकरण:
मुस्लिम-21.50 फीसदी
पिछड़ा वर्ग- 21 फीसदी
ब्राह्मण-18 फीसदी
अनुसूचित जाति- 17 फीसदी
गुर्जर- 5.50 फीसदी
वैश्य- 5 फीसदी
पंजाबी- 5 फीसदी
जाट- 4 फीसदी
(नोट: राजनीतिक दलों की तरफ से जुटाए गए अनुमानित आंकड़े)

विधान सभा में काम करने वाले फैक्टर:
बुराड़ी, करावल नगर: पूर्वांचल व उत्तराखंड फैक्टर।
बुराड़ी, करावल नगर, घोंडा, और रोहतास नगर: ब्राह्मण फैक्टर।
सीलमपुर, मुस्तफाबाद, गोकलपुरी, सीमापुरी: मुस्लिम फैक्टर।
सीमापुरी और तिमारपुर: झुग्गी बस्ती का बहुल्य।

विधानसभा व विधायक
आम आदमी पार्टी: सीमापुरी, गोकलपुरी, घोंडा, सीलमपुर, रोहतास नगर, बावरपुर, करावल नगर (बागी), बुराड़ी, तिमारपुर।
भाजपा: मुस्तफाबाद।

उत्तर पूर्वी संसदीय सीट:
2009-2014             जय प्रकाश अग्रवाल        कांग्रेस
2014-अभी तक          मनोज तिवारी            भाजपा

2014 में तीनों दलों को मिले वोट
भाजपा: 5,93,346
आप: 4,51,823
कांग्रेस: 2,14,401

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