दादी-नानी के नुस्खे : हाजमे को दुरुस्त रखते हैं ये भूरे दाने

दादी-नानी के नुस्खे में हम आज हर्र के गुणों को जानेंगे, हर्र के नाम से सभी परिचित होंगे, इसमें इतने गुण होते हैं कि हमारे पूर्वजों ने इसके कई नाम रख दिये जैसे : अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या आदि। कश्मीर से असम तक इसके पेड़ पाये जाते हैं।

इसमें वात कफ पित्त आदि नष्ट करने की शक्ति होती है। हरड़ चबाकर खाने से भूख बढ़ती है। पीसकर फांकने से मल साफ होता है। सर्दी, जुकाम तथा पाचनशक्ति ठीक करने के लिए भोजन करने के बाद इसका सेवन करना लाभदायक होता है।

दादी-नानी के नुस्खे

यदि आप लम्बी जिंदगी जीना चाहते हैं तो छोटी हरड़ रात को पानी में भिगो दें। पानी इतना ही डालें कि हरड़ सोख लें। सुबह इसे देशी घी में तलकर कांच के बर्तन में रख लें। दो माह तक रोज 1-1 हरड़ सुबह शाम दो माह तक खाते रहें। इससे शरीर हृष्ट-पुष्ट होगा।

दादी-नानी के नुस्खे : हरड़ के ये भी फायदे

हरड़ आंखों की रोशनी बढ़ाती है। दो ग्राम त्रिफला चूर्ण, घी, हरण तथा शहद का मिश्रण साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

बवासीरः दो ग्राम हरड़ चूर्ण को गुड़ में मिलाकर छाछ के साथ देने से बवासीर के शूल, शोथ आदि लक्षणों में आराम मिलता है।

अम्लपित्तः हरड़ चूर्ण, पीपर व गुड़ समान मात्रा में लेकर मिला लें। इसकी 2-2 ग्राम की गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से अथवा दो ग्राम हरड़ चूर्ण मुनक्का व मिश्री के साथ लेने से कण्ठदाह, तृष्णा, मंदाग्नि आदि अम्लपित्तजन्य लक्षणों से छुटकारा मिलता है।

यकृत-प्लीहा वृद्धिः हरड़ व रोहितक के 50 ग्राम काढ़े में एक चुटकी भर यवक्षार व 1 ग्राम पीपर चूर्ण मिलाकर लेने से यकृत व प्लीहा सामान्य लगती है।

खाँसी, जुकाम, श्वास व स्वरभेदः हरड़ कफनाशक है और पीपर स्निग्ध, उष्ण-तीक्ष्ण है। अतः 2 भाग हरड़ चूर्ण में 1 भाग पीपर का चूर्ण मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ 2-3 बार चाटने से कफजन्य खाँसी, जुकाम, स्वरभेद आदि में राहत मिलती है।

मूत्रकृच्छ, मूत्राघातः हरड़, गोक्षुर व पाषाणभेद के काढ़े में मधु मिलाकर देने से दाह व शूलयुक्त मूत्र-प्रवृत्ति में आराम मिलता है।

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