लखनऊ लाई गयी थाईलैंड की जहरीली मछली

थाईलैंड की मछलीलखनऊ। पानी में तैरती हुई मछलियों को देखते ही सबका दिल खुश हो जाता है। अगर मछलियां सुंदर, विचित्र होने के साथ जानलेवा हों तो उसे देखने का मजा कुछ अलग ही होता है। ऐसी ही थाईलैंड की मछली ‘स्टिंगरे’ उत्तर प्रदेश की राजधानी के चिड़ियाघर में लाई गई है।

थाईलैंड की मछली का नाम है ‘स्टिंगरे’

प्राणी उद्यान के निदेशक अनुपम गुप्ता ने बताया कि ‘स्टिंगरे’ मछली 18 जून को यहां लाई गई। उसे चिड़ियाघर के एक्वेरियम में रखा गया है। उन्होंने बताया कि थाईलैंड से मंगाई गई इस मछली की उम्र अभी डेढ़ साल है। इसकी औसत आयु 80 वर्ष होती है। यहां लाई गई मछली ‘लेपर्ड स्टिंग रे’ प्रजाति की है।

निदेशक का कहना है कि आमतौर पर मछली पालने का शौक रखने वाले ‘स्टिंगरे’ नहीं पालते। इसका कारण है कि यह मछली जहरीली होती है और आसानी से मिलती भी नहीं।

गुप्ता के मुताबिक, ‘स्टिंगरे’ को जिंदा मछली खाना पंसद है। ये अपनी पूंछ से डंक मारकर शिकार में एक म्यूकस (जहर) डाल देती है, जिससे शिकार को लकवा मार जाता है और वह उसे जिंदा ही निगल लेती है। अक्सर मछुआरे भी इसके शिकार हो जाते हैं।

निदेशक ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई पर्यावरणविद और मगरमच्छों को पकड़ने में माहिर स्टीव इरविन की मौत ‘स्टिंगरे’ के डंक मारने से हुई थी। डिस्कवरी, नेशनल जियोग्राफिक और एनिमल प्लैनेट जैसे चैनलों पर अक्सर नजर आने वाले 44 वर्षीय स्टीव को क्रोकोडाइल हंटर या क्रोकोडाइल डंडी जैसे नामों से जाना जाता था।

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