तेल के दामों में इस वजह से हो सकती है उथल-पुथल, सब सरकार के पक्ष में है अभी

नई दिल्ली। जबसे तेल के दामों में बढ़ोत्तरी शुरू तब से ये चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन अभी कुछ दिनों से तेल के दामों में राहत की खबरें आ रही हैं। ऐसे में दिवाली के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों पर नियंत्रण रखने के मामले में गेंद अब सरकार के पाले में है। सरकार ने तेल की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए पेट्रोल-डीजल पर लगे केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की थी।

चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमते कम होने पर इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगे केंद्रीय उत्पाद शुल्क में की गई कटौती का फैसला वापस ले सकती है। हालांकि सरकार द्वारा यह कदम उठाने से देश में तेल की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाती है, तो कर कटौती का फैसला वापस भी हो सकता है। लेकिन यदि केंद्र सरकार ऐसा करेगी तो राज्यों को भी वैट या बिक्री कर में की गई कटौती को वापस लेने का साहस मिलेगा। ऐसा होने पर बाजार में अचानक दोनों ईंधनों के दाम बढ़ जाएंगे।

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इससे पहले बीते चार अक्टूबर को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर और तेल कंपनियों द्वारा दाम में प्रति लीटर एक रुपया कटौती के फैसले की जानकारी दी थी। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 86 डॉलर प्रति बैरल के करीब था।

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वित्त मंत्री ने जब केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटाया था, तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले कई राज्यों ने भी वैट या बिक्री कर में ढाई रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की थी। तब से तेल के दामों में कुछ बढ़ोतरी के बाद लगातार रुप से गिरावट दर्ज की गई थी।वहीं कच्चा तेल नरम होने से सत्ता के गलियारे में इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर जो केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, वह वापस ले लेगी। लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बारे में अभी कोई संकेत नहीं दिए गए हैं।

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