तीन तलाक विधेयक ‘पुरुष बनाम स्त्री’ के बारे में नहीं है

नई दिल्ली| लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक 2018 के पक्ष में अपनी बात रखते हुए भाजपा सदस्य मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को सवाल पूछा कि क्या ‘तीन तलाक कुरान का भाग है’ और कहा कि यह मामला ‘स्त्री बनाम पुरुष (ही वर्सेज शी) का नहीं’ बल्कि मानवधिकार उल्लंघनों का है।

कांग्रेस ने तर्क दिया है कि विधेयक में मुख्यत: केवल मुस्लिम पुरुषों को अपराधी ठहराने का प्रस्ताव है, जिसका जवाब देते हुए लेखी ने विवाह संबंधी कानून का हवाला दिया खासकर उस भाग का जिसमें गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि गैर-मुस्लिमों को अपनी पत्नी या मां को गुजारा-भत्ता नहीं देने पर सजा देने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों से पूछना चाहती हूं जो विधेयक का विरोध कर रहे हैं कि कुरान के किस ‘सूरा’ में तालाक-ए-बिद्दत (एक साथ एक ही बार में तीन तलाक दिया जाना) का जिक्र है? यह पुरुष बनाम स्त्री नहीं बल्कि यह मानवधिकार उल्लंघनों का मामला है।”

लेखी ने कहा, “हमारा संविधान एक समान नागरिक आचार संहिता की बात करता है न कि एक समान धर्म संहिता की। क्या हम ऐसा समाज बनाने चाहते हैं, जहां पुरुष जब भी चाहे महिला को तलाक दे सकता है, एक समाज जहां पत्नियों को कपड़ों की तरह बदला जा सकता है?”

कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए लेखी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक केवल दंडात्मक नहीं है, बल्कि ‘समान रूप से मजबूत बनाने वाला व सुधारात्मक’ है। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत अपराध समाधेय (कंपाउंडेबल) है या इसमें अदालत की इजाजत या बिना इजाजत के पीड़ित और दोषी के बीच समझौता हो सकता है।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार की ऐसी 50 योजनाएं हैं जो महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित हैं।

लेखी ने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य लैगिक न्याय का है और कहा कि कोई भी लैंगिक संघर्ष नहीं जीता जा सकता जब तक पुरुष महिलाओं के साथ खड़े नहीं होंगे क्योंकि पुरुष लगातार प्रभुत्व की स्थिति में बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि सभी निजी कानून (पर्सनल लॉ) अलग होते हैं और इनकी तुलना नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस और भाजपा के बीच अंतर यह है कि वे तलाक की बात करते हैं और हम विवाह के बारे में बात करते हैं। हम विवाह के संरक्षण के बारे में बात करते हैं, विवाह को आगे बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त करने की बात करते हैं।”

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इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखा गया। विपक्षी पार्टियां विस्तृत विचार-विमर्श के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) के पास भेजे जाने की मांग कर रही हैं।

विधेयक को पारित कराने के पक्ष में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विधेयक किसी समुदाय, धर्म, आस्था के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा।

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