‘मार्शल आर्ट’ का दम दिखाएगी यह लड़की, अक्षय करेंगे सपोर्ट

ताइक्वांडोबिलासपुर| छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के टिकरापारा में रहने वाली आठ साल की नन्ही प्रतिष्ठा गोस्वामी ‘मार्शल आर्ट’ में पारंगत हैं। वह मलेशिया में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय कुडो चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। नन्हीं सी प्रतिभाशाली बालिका ने खंडाला में हुई राष्ट्रीय स्पर्धा में महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और गुजरात के खिलाड़ियों को मात देकर स्वर्ण पदक हासिल किया था। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए ताइक्वांडो खिलाड़ी प्रतिष्ठा का चयन किया गया है।

ताइक्वांडो में प्रतिष्ठा की प्रतिभा

इन सबमें सबसे खास बात यह है कि प्रतिष्ठा के मलेशिया प्रवास का सारा खर्च बॉलीवुड के सुपर स्टार अक्षय कुमार उठाएंगे।

नन्ही फाइटर प्रतिष्ठा अभी महज आठ साल की हैं, लेकिन मार्शल आर्ट में ऐसी पारंगत है कि बड़ों के भी होश उड़ जाए। ताइक्वांडो के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और पिता मुकेश पुरी गोस्वामी तथा मां वर्षा गोस्वामी के घर जन्मी प्रतिष्ठा की प्रतिभा बचपन में ही सामने आने लगी थी। इसे देखकर माता-पिता ने महज चार साल की उम्र में ही उसे मार्शल आर्ट के सारे दांवपेंच सिखाने शुरू किए।

प्रतिष्ठा के पिता स्वयं ताइक्वांडो खिलाड़ी व ताइक्वाडो संघ के सचिव हैं। लिहाजा, उन्होंने अपनी पुत्री को अलग-अलग स्तर की प्रतियोगिताओं में भेजना शुरू किया।

प्रतिष्ठा ने 2014 में ताइक्वांडो की राज्य स्तरीय स्पर्धा में शिरकत करते हुए रजत पदक प्राप्त किया। इसके बाद 20 अप्रैल 2016 को राज्य स्तरीय चयन स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय कुडो के लिए चयनित हुई।

इस साल 6 से 12 मई के बीच महाराष्ट्र के खंडाला में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता प्रतिष्ठा ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसके आधार पर उन्हें अगस्त में मलेशिया में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए चुना गया।

इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले प्रतिष्ठा जापान में कुडो का प्रशिक्षण भी लेंगी। इसकी व्यवस्था भी भारतीय कुडो संघ की ओर से की जा रही है।

वर्ष 2008 में अक्षय कुमार जापान गए थे। वहां उन्हें जापान में कुडो खेल की जानकारी मिली और इसकी विद्या का बारीकी से अध्ययन करने के बाद अभिनेता को एहसास हुआ कि इस खेल में जिन-जिन पैतरों का उपयोग किया जाता है, उससे कोई भी अपना आत्म रक्षण आसानी से कर सकता है।

अक्षय को यह भी विचार आया कि भारत में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को कम करने में यह विद्या सहायक सिद्ध हो सकती है और इस कारण वह इसे स्वदेश लेकर आए।

भारती कुडो अंतर्राष्ट्रीय संघ के चेयरमैन अक्षय हैं और इस लिहाज से वह खिलाड़ियों का हर प्रकार का खर्च उठाते हैं।

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