तमिलनाडु फ्लोर टेस्ट : पन्नीरसेल्वम हुए ध्वस्त, पलनीसामी मस्त
चेन्नई: भारी हंगामे और विपक्षी डीएमके विधायकों को सदन से निकालने के बाद आखिरकार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई के पलनीसामी ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया. पलनीसामी ने ध्वनिमत से पास हुए विश्वास मत पर हुए मतदान में जीत हासिल की. उन्हें 122 विधायकों का समर्थन मिला. हालांकि उन्होंने 123 विधायकों विधायकों के समर्थन का दावा किया था।
तमिलनाडु विधानसभा में आज विपक्षी दलों द्वारा गुप्त मतदान की मांग को लेकर जोरदार हंगामा हुआ. सदन में कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद पलनीसामी ने बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विपक्ष के नेता एम.के.स्टालिन के साथ उनकी तीखी नोकझोंक भी हो गई।
स्टालिन ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया है, फिर इतनी जल्दी क्या है. इस बीच मुख्यमंत्री के समर्थक विधायक चुप रहे, लेकिन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को चारों तरफ से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे।
डीएमके विधायकों ने सदन के एजेंडा पेपर को भी फाड़ दिया और कुर्सियों को फेंक दिया. हंगामा जारी रहने पर विधानसभा अध्यक्ष अपने चैंबर में चले गए और विधानसभा की कार्यवाही अपराह्न एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने भी गुप्त मतदान की मांग की है. 1 बजे जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो फिर हंगामा होने लगा. इस पर स्पीकर ने डीएमके सभी विधायकों को सदन से बाहर कर दिया. और कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा के बाहर स्टालिन ने दावा किया कि उनकी शर्ट फाड़ी गई है और वो फटी शर्ट के साथ ही मीडिया के सामने आए. स्टालिन ने स्पीकर के साथ हुई मारपीट की घटना पर खेद जताया है।
गौरतलब है कि राज्य में 29 साल बाद ऐसा मौका आया है जब फ्लोर टेस्ट हुआ है इससे पहले एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद AIADMK में फूट हुई थी लेकिन उस फ्लोर टेस्ट में जयललिता हार गई थीं और बाद में चुनाव जीतकर वापस लौटीं थी।