रेस्टोरेंट ने लेट की खाने की डिलिवरी तो बना दी – डेल्हीवरी

डेल्‍हीवेरी इस उभरते और निखरते भारत में कई सक्‍सेस स्‍टोरीज हैं। इन्‍हें एक एक कर बताने में ही शायद कई साल लग जाएं। एक ऐसी ही कहानी है साहिल की जो डेल्‍हीवेरी के जरिये रोज हजारों लाेगों तक खुशियां डिलिवर कर रहे हैं। आइये जानें साहिल के बारे में –

दिल्ली में पले-बढ़े साहिल ने वहीं के सेंट जेवियर हाई स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद कर्नाअक के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। साहिल ने बेंगलुरू से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से फाइनेंस में न सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएशन किया बल्कि ऑल राउंड गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे।

यही नहीं साहिल ने पढ़ाई के साथ-साथ काम का तजुर्बा हासिल करने के लिए मेकेनिकल इंजीनियरिंग के दौरान रिसर्च इंटर्न के तौर पर यूएस की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में चार महीने काम किया। दो वर्ष बाद उन्होंने आईआईएम-बी में भी लंदन की बैन एंड कंपनी में तीन माह का समर एसोसिएट इंटर्नशिप की। इसके पूरी होने के बाद साहिल ने आईआईएम से पढ़ाई पूरी की और बैन एंड कंपनी में ही फुल टाइम एसोसिएट कंसल्टेंट जॉइन कर लिया। अगले एक वर्ष में साहिल प्रमोट होकर सीनियर एसोसिएट कंसल्टेंट बन गए। तरक्की के साथ ही उनकी जिम्मेदारियों के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ और उन्हें प्राइवेट इक्विटी, टेलकॉम और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स सौंपे गए। साहिल की परफॉर्मेंस को देखते हुए जल्द ही उन्हें कंसल्टेंट की जिम्मेदारी दे दी गई।

डेल्‍हीवेरी का आइडिया नौकरी के दौरान ही तलाशा

इसी नौकरी के दौरान साहिल की मुलाकात सूरज सहारन और मोहित टंडन से हुई। अपनना वेंचर शुरू करने में दिलचस्पी के चलते ये तीनों दोस्त बन गए। वक्त के साथ वेंचर की शुरूआत का विचार मजबूत होता गया और एक कारगर आइडिया की तलाश होने लगी। इसी के चलते उन्हें नौकरी से छह महीने छुट्टी लेने का फैसला लिया। उन्हीं छुट्टियों में एक रात जब साहिल और सूरज ने गुड़गांव स्थित एक रेस्टोरेंट से ऑनलाइन खाना ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया तो इसकी डिलिवरी में हुई परेशानी को देखकर उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि भारतीय ई कॉमर्स में डिलिवरी सुविधा में बड़ी कमी है और रेस्टोरेंट्स के लिए डिलिवरी नेटवर्क के लिए कोई ऑनलाइन या फिजिकल मॉडल भी नहीं है। इसी कमी में उन्हें अपना बिजनेस आइडिया मिल गया।

दोनों ने रेस्टोरेंट के मालिक से मुलाकात की और डिलिवरी की समस्या सुलझाने का प्रस्ताव दिया। यहीं से डेल्‍हीवेरी का जन्म हुआ। डेल्‍हीवेरी के आइडिया को बिजनेस में बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई और बहुत ही कम समय में जरूरी तैयारी पूरी हो गई। अब वक्त डिलिवरी बॉयज की हायरिंग का था। इसी बीच साहिल की मुलाकात उस रेस्टोरेंट के मालिक से हुई जहां से वे अक्सर खाना ऑडर किया करते थे। मालिक के साथ बातचीत में उन्हें मालूम हुआ कि वह रेस्टोरेंट बंद करके अपने स्टाफ को दूसरी जगह नियुक्त करने की तैयारी कर रहा है। यह जानकर साहिल ने उन कर्मचारियों को हायर करने का प्रस्ताव रख दिया।

डिलिवरी के मॉडल ने दिलाया बिजनेस

अपनी बचत और अर्बनटच डॉट कॉम के अभिषेक गोयल के निवेश के साथ साहिल ने डेल्हीवरी की शुरूआत गुड़गांव में 250 वर्गफीट के एक कॉर्पोरेट आफिस से की। शुरूआत के समय उनके पास कुल दस लागों की टीम थी जिनमें चार डिलिवरी बॉयज थे। अपने बिजनेस को विस्तार देते हुए उन्होंने लोकल रेस्टोरेंट्स के साथ हाथ मिलाना शुरू किया और उनके ऑर्डर को आधे घंटे के अंदर पहुंचाने का वादा भी किया।

डेल्हीवरी का मॉडल काफी पसंद किया गया और बहुत कम समय में उन्हें गुड़गांव में ही 100 आर्डर रोज मिलने लगे। अभिषेक गोयल को भी डेल्हीवरी का काम अच्छा लगा और उन्होंने अपने पैकेज डिलिवरी का आर्डर भी साहिल को सौंप दिया। यहीं से डेन्हीवरी के खाते में पहला ई-कॉमर्स क्लाइंट शामिल हो गया।

कम समय में पाई बड़ी सफलता

स्टोरेज के साथ कंपनी जल्द ही अपना कारोबार देश के 31 शहरों में फैलाने में कामयाब हो गई। यहां से साहिल और उनके साथियों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच साल पहले पांच को-फाउंडर्स और मुट्ठी भर डिलिवरी बॉयज के साथ शुरू हुई कंपनी वर्तमान में 3200 कर्मचारियों की अपनी टीम के साथ देश के 175 शहरों के साथ-साथ मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में अपने करोबार कर रही है। यही नहीं इसी वित वर्ष में कंपनी ने 220 करोड़ का टर्नओवर पार कर लिया है।

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