सचिन तेंदुलकर ने कहा – भारत में डीआरएस लागू होना चाहिए

डीआरएसनई दिल्ली : भारत में द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में डीआरएस लागू करने को ‘सकारात्मक कदम’ करार देते हुए सचिन तेंदुलकर ने कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड अगर संशोधित समीक्षा प्रणाली से संतुष्ट हैं तो वह इसे स्थायी तौर पर अपना सकता है।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड लंबे समय तक निर्णय समीक्षा प्रणाली यानि डीआरएस का विरोध करता रहा लेकिन वह इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट श्रृंखला में ट्रायल के तौर पर इसका उपयोग करने के लिये सहमत हो गया।

तेंदुलकर से पूछा गया कि क्या बीसीसीआई को स्थायी आधार पर डीआरएस को अपनाना चाहिए, उन्होंने कहा, “यदि बीसीसीआई ने इसका अच्छी तरह से अध्ययन किया और वे इससे (डीआरएस में संशोधन) आश्वस्त हैं तो फिर क्यों नहीं। मुझे लगता है कि यह सकारात्मक कदम है।”

उन्होंने कहा, “विश्व में हर जगह एक जैसी प्रौद्योगिकी होनी चाहिए क्योंकि मैंने पाया कि दुनिया के किसी हिस्से में स्निकोमीटर तो अन्य हिस्से में हाटस्पाट का उपयोग किया जाता है।”

तेंदुलकर ने कहा, “इसमें एकरूपता नहीं थी। जब आप टेस्ट क्रिकेट खेलते हो तो कुछ चीजें जो दुनिया में हर जगह एक जैसी होनी चाहिए और जब डीआरएस इसका हिस्सा बन गया है, क्रिकेट से जुड़ गया है तो फिर यह विश्व भर में हर जगह एक जैसा होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “इसलिए आप जिस मैच में भी खेल रहे हों किसी को यह सवाल करने का मौका नहीं मिलना चाहिए कि क्या होने जा रहा है, क्या स्निकोमीटर उपलब्ध है या हाटस्पाट उपलब्ध है या नहीं। इसका मानकीकरण होना चाहिए।’ तेंदुलकर ने कहा कि डीआरएस का संबंध सीधे तौर पर फैसले सही करना है।”

उन्होंने कहा, “आपने (राजकोट टेस्ट मैच में) चेतेश्वर पुजारा के फैसले के बाद देखा होगा। कुछ सवाल उठाए गए थे और लोगों ने इस पर बात की कि क्या फैसला दिया जाना चाहिए था। यहां तक कि यदि बल्लेबाज (रेफरल) के लिए नहीं कहता है और अंपायर आउट दे देता है और रीप्ले में दिखता है कि गेंद लेग से बाहर की तरफ जा रही थी तो मुझे लगता कि ऐसे में तीसरे अंपायर का हस्तक्षेप करना गलत नहीं होगा क्योंकि आखिरकार डीआरएस पूरी तरह से फैसले सही करने से जुड़ा है।”

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