कैसा है ठाकरे का CMP, कई मुद्दों को किया गया शामिल, यह पांच मुद्दे CMP से दूर

महाराष्ट्र में कल शाम 6.40 पर उद्धव ठाकरे ने शपथ ली. शपथ के ठीक बाद ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्प्रेंस की साथ ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार क्या गया. इसके बाद से अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार किसान, रोजगार, स्वास्थ्य, व्यापार, सामाजिक न्याय, महिलाओं, शिक्षा जैसे कई मुद्दों पर काम करेगी और साथ ही और भी कई मुद्दों पर इस कार्यक्रम से दूर रखा गया.

ठाकरे का CMP

इन सभी मुद्दों के साथ-साथ महाराष्ट्र में और भी कई मुद्दे हैं जिसका जिक्र नहीं किया. आज हम आपको बताते हैं वह कौन से मुद्दे हैं जिनके बारे में जनता को पता होना चाहिए.

  1. अनियंत्रित प्रवासी

महाराष्ट्र में प्रवासियों का मुद्दा बेहद जरूरी है. इस राज्य में प्रवासियों के आने और जाने का दर देश में सबसे ज्यादा है. सबसे बड़ा कारण है – रोजगार, अच्छी पढ़ाई, फायदेमंद व्यवसाय और आसान जीवन. राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां देश के किसी भी कोने से पहुंचना आसान है. बहुत से गरीब परिवार यहां बेहतर जीवन के लिए आते हैं. ब्रिज, सबवे, झुग्गियों आदि में रहते हैं. माना जाता है कि मुंबई और थाणे में बांग्लादेशी और नेपाली बहुतायत में हैं. मुबंई, पुणे, नागपुर और नासिक में प्रवासियों की वजह से आबादी बढ़ रही है.

  1. प्राकृतिक स्रोतों की कमी हो रही है

महाराष्ट्र में पानी के किल्लत की समस्या बहुत ज्यादा है. पिछले एक दशक से यह समस्या और तेजी से बढ़ रही है. राज्य की लगातार बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इतना ज्यादा हो रहा है कि विदर्भ और मराठवाड़ा हर साल सूखाग्रस्त घोषित हो जाते हैं. खानदेश, मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों की हालत बहुत खराब है.

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  1. तेजी से हो रही वनों की कटाई

वेस्टर्न घाट विश्व धरोहर हैं. लेकिन शहरीकरण के चक्कर में इस पूरे रेंज के जंगलों में पेड़ों की अनियंत्रित कटाई हो रही है. नतीजा वेस्टर्न घाट से जीव-जंतुओं का खात्मा हो रहा है. कोंकण में भी विकास के नाम पर तेजी से जंगलों की कटाई हो रही है. पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ-साथ प्रदूषण भी तेजी से हो रहा है. मुंबई के आरे जंगल को लेकर हाल ही में हुआ घमासान ताजा उदाहरण है.

  1. तेजी से बढ़ता प्रदूषण

राज्य में जब आबादी तेजी से बढ़ती है इसके कारण वहीं प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता है. कचरा प्रबंधन, प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार ऐसा कोई काम नहीं कर रही है जो खुली आंखों से दिखाई दे. मुंबई में हर साल कचरे के कुप्रबंधन की वजह से ही बाढ़ आ जाती है. समुद्री तटों पर भी कचरे का अंबार लगा रहता है.

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  1. छोटे शहरों का विकास करना

महाराष्ट्र में मुंबई, थाणे और पुणे को छोड़ दे तो बाकी शहरों को पूरी तरह से विकसित कहना पूरी तरह से सही नहीं होगा. टायर-2 शहरों जैसे- नागपुर, नासिक, सांगली, कोल्हापुर, अमरावती, सोलापुर को विकसित करना भी जरूरी है. यहां ढांचागत विकास के साथ-साथ आर्थिक इजाफे के लिए भी काम करने की जरूरत है.

 

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