शर्मिन्दगी भरा मगर सच! टैक्स चोरी में नंबर वन हुआ देश

टैक्स चोरी में नंबर वननई दिल्ली। नए बजट के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चौंका देने वाला सच खोल कर रख दिया है। इस सच को जानकार सभी के पैरों से जमीन खिसक गई। लेकिन असल हकीकत यही है। यह सिर्फ एक जुमले बाजी नहीं बल्कि वित्त मर्त्री ने इसके प्रमाणित साक्ष्य भी प्रस्तुत कर दिए। कहते हुए शर्मिन्दगी जरूर महसूस होती है, लेकिन हकीकत यह है कि भारत टैक्स चोरी में नंबर वन बन चुका है।

टैक्स चोरी में नंबर वन    

जेटली का कहना है कि भारतीयों द्वारा दिए जाने वाले टैक्स के आंकड़े उनकी आमदनी और खर्च के आंकड़ों से मेल नहीं खाते।

वित्त मंत्री ने संसद में टैक्स चोरों पर हमला करते हुए कहा, “भारत में टैक्स चोरी एक जीवन पद्धति बन चुकी है। हम मोटे तौर पर टैक्स न देने वाला समाज हैं। उन्होंने कहा कि जब बहुत सारे लोग टैक्स चुराते हैं तो इसका खमियाजा ईमानदार लोगों को भुगतना पड़ता है।”

साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी। अनुमान के मुताबिक इस समय देश की आबादी 125 करोड़ से अधिक हो चुकी है जिसमें से केवल 3.7 करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं।

उन्होंने अपनी बात के समर्थन में ठोस आंकड़े भी पेश किए। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 में देश में कुल 3.7 करोड़ लोगों ने टैक्स रिटर्न भरा था। इनमें से 99 लाख लोगों ने अपनी सालाना आय ढाई लाख रुपये बतायी थी।

यानी कानूनन इन लोगों को सरकार को कोई टैक्स नहीं देना पड़ा। 1.95 करोड़ लोगों ने अपनी सालाना कमायी ढाई लाख रुपये से पांच लाख रुपये बतायी थी। 52 लाख लोगों ने अपनी सालाना आय पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये बतायी थी। पूरे देश में केवल 24 लाख लोगों ने अपनी आय 10 लाख रुपये सालाना से अधिक बतायी थी।

इतना ही नहीं जिन 76 लाख लोगों ने आयकर विभाग को अपनी सालाना पांच लाख रुपये से अधिक बतायी है उनमें से 56 लाख लोग नौकरी करने वाले हैं।

देश में 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले लोगों की संख्या केवल 1.72 लाख है। जेटली ने इन आंकड़ों को रखते हुए ही देश के आमदनी और खर्च के आंकड़ों और टैक्स देने वालों की संख्या से जुड़ी विसंगति पर तंज किया।

जेटली ने संसद में कहा, “हम इन आकंड़ों की उलटबांसी समझने के लिए पिछले पांच सालों में बिकी 1.25 कारों के आंकड़ों के संग रखकर देख सकते हैं। और साल 2015 में कारोबार या पर्यटन के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की संख्या दो करोड़ रही थी।”

जेटली ने कहा कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में टैक्स का अनुपात बहुत कम है। जेटली ने कहा कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से प्रत्यक्ष कर (आयकर इत्यादि) का आंकड़े अप्रत्यक्ष कर (सर्विस टैक्स इत्यादि) की तुलना में नगण्य है।

जेटली ने देश को बताया कि देश में कुल 4.2 करोड़ लोग नौकरीपेशा हैं लेकिन आयकर रिटर्न केवल 1.74 करोड़ नौकरीपेशा लोगों ने भरा।

वहीं असंगठित क्षेत्र के निजी उद्यम और संस्थानों की संख्या 5.6 करोड़ है लेकिन आयकर रिटर्न केवल 1.81 करोड़ लोगों ने भरा था।

जेटली ने संसद को बताया, “देश में पंजीकृत 13.94 लाख कंपनियों में से 31 मार्च 2014 तक केवल 5.97 ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आयकर रिटर्न भरा है। इनमें से 2.76 लाख कंपनियों ने खुद को घाटे में या शून्य आय दिखायी है।”

वित्त वर्ष 2016-17 के आयकर रिटर्न में केवल 2.85 कंपनियों ने खुद को मुनाफे में बताया है। इन कंपनियों ने अपना सालाना मुनाफा एक करोड़ रुपये से कम बताया है।

वहीं केवल 28,667 कंपनियों ने एक करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का सालाना मुनाफा दिखाया है। केवल 7781 कंपनियों ने अपनी सालाना आय 10 करोड़ रुपये से ज्यादा बतायी है।

इन सभी आंकड़ों को देखते हुए यह सवाल जहन में आ जाता है कि क्या भारत टैक्स चोरी में सबसे आगे निकल चुका है। यदि ऐसा है तो इसे रोकने के लिए सरकार का अगला कदम इस दिशा में क्या होने वाला है।

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