टिहरी झील में डूबी फ्लोटिंग मरीना को आखिरकार, नुकसान को होगा आंकलन

टिहरी झील में डूबी फ्लोटिंग मरीना को आखिरकार लोनिवि के इंजीनियरों की टीम ने दो माह बाद पानी से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त कर ली है। रविवार को फ्लोटिंग मरीना को सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर दिया गया है। झील के पानी में डूबने के कारण मरीना में क्या-क्या तकनीकी दिक्कतें आई है। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम निरीक्षण के बाद रिपोर्ट देगी।
टिहरी झील

बीते सात मई को टिहरी झील का जलस्तर कम होने पर झील किनारे खड़ी फ्लोटिंग मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा होकर झील में डूब गया था। मरीना के डूबने पर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग की खूब किरकिरी हुई थी।

हालांकि उसी दिन शाम को लोनिवि, बीआरओ और पर्यटन विभाग ने मरीना को रस्सों और लोहे के ऐगिलों के सहारे बांध कर खड़ा कर दिया था, लेकिन झील किनारे दलदल अधिक होने के कारण मरीना को सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर पाना प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। 24 जून को डीएम टिहरी की रिपोर्ट पर शासन ने मरीना को सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी लोनिवि को दी थी।

पिछले तीन दिनों से लोनिवि के इंजीनियरों की टीम मरीना को सुरक्षित स्थान पर निकालने के लिए कसरत में जुटी हुई थी। रविवार को टीम के फ्लोटिंग मरीना को सुरक्षित निकाल कर खड़ा कर दिया है। लोनिवि के ईई केएस नेगी ने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग ने 9 लाख का आंकलन शासन को दिया था।
उन्होंने बताया कि मरीना को सुरक्षित निकालकर रिपोर्ट डीएम को सौंप दी गई है। अब प्रशासन को फ्लोटिंग मरीना को विशेषज्ञों की निगरानी में झील में फ्लोट करना है। मरीना को कितना नुकसान हुआ है, यह जांच बाद विशेषज्ञ ही बता पाएंगे।

टिहरी झील में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015 में प्रदेश सरकार ने करोड़ों रुपये की मरीना को झील में उतरा था। फ्लोटिंग मरीना में झील क्षेत्र में आने वाले सैलानियों को भोजन और अन्य खाद्य पदार्थ की सुविधा प्रदान करना था, लेकिन मरीना का संचालन न होने पर वह झील किनारे खड़ी थी। 16 मई 2018 में मरीना में पहली बार कैबिनेट की बैठक भी आयोजित की गई थी।

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