10 दिन की बच्ची निगल गई झुमका

झुमकारायपुर| छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे निमोरा गांव में 10 दिन की बच्ची झुमका निगल गई। झुमका उसकी आहार नली में जा फंसा। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी कर आहार नली में फंसे झुमके को निकाल लिया। डॉक्टरों का दावा है कि इतनी कम उम्र की बच्ची में कम से कम मध्य भारत में एंडोस्कोपी नहीं की गई है, यह बहुत ही ‘रेयर केस’ है।

झुमका निगलने की थी शंका

राजधानी स्थित बाल गोपाल चाइल्ड हॉस्पिटल में बच्ची के गले को एंडोस्कोपी पद्धति से ऑपरेट किया गया। निमोरा (अभनपुर) के साहू परिवार में जन्मी 14 दिन की बच्ची की मां ने बताया कि उनकी बेटी आंगन में थी, तभी एक बच्चे ने वहां गिरा झुमका बच्ची के मुंह में डाल दिया और वह निगल गई। किसी ने यह घटना देखी नहीं, बच्चे ने जब खुद बताया, तब पता चला।

बच्ची की मां ने कहा कि उसे पहले तो यकीन नहीं हुआ, क्योंकि बच्ची बिल्कुल स्वस्थ थी। दूध भी पी रही थी। लेकिन उसने सोचा, क्यों न शंका दूर कर ली जाए। उन्होंने दो दिन बाद बच्ची के गले का एक्स-रे करवाया। एक्स-रे रिपोर्ट ने होश उड़ा दिए।

बच्ची के माता-पिता शुक्रवार की दोपहर 3 बजे रायपुर पहुंचे। उन्होंने बाल गोपाल चाइल्ड हॉस्पिटल में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. हनीस शर्मा को घटना की जानकारी दी।

डॉ. शर्मा ने पीडियाट्रिशियन डॉ. प्रशांत केडिया को यह मामला बताया। महज एक घंटे के अंदर एंडोस्कोपी प्लान की गई। एक घंटे चली एंडोस्कोपी के बाद बच्ची के गले से झुमका और उसके पीछे की पिन निकाल ली गई।

डॉक्टरों के मुताबिक, पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी के उपकरण जो मुंह के रास्ते पेट में डाले जाते हैं, वे तीन महीने के बच्चों की एंडोस्कोपी के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन नन्ही जान की सर्जरी न करना पड़े, इसलिए डॉक्टरों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए एंडोस्कोपी का सहारा लिया।

गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. शर्मा ने बताया, “हमने एंडोस्कोपिक पद्धति के जरिए झुमके को बाहर निकालना तय किया था, लेकिन कहीं यह पद्धति फेल न हो जाएं इसलिए सर्जरी की भी तैयारी थी। पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. नितिन शर्मा तैयार थे, वे भी ओटी में मौजूद थे। लेकिन इसकी नौबत ही नहीं आई”।

शिशुरोग विशेषज्ञों की राय है कि माता-पिता अपने बच्चों के नजदीक ऐसी कोई भी छोटी चीजें जैसे सिक्का, पिन, बटन बैटरी, कील, बीज को न रखें, जो वे निगल सकते हों। इस बात भी खास ध्यान रखें और पूरी कोशिश करें कि बच्चा परिवार के किसी न किसी सदस्य की निगरानी में रहे। किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तत्काल विशेषज्ञ के पास ले जाएं।

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