ज्ञान का अर्थ

योगगुरु बाबा रामदेव की बातें आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। इनकी बातों की ख्‍याति की लौ भारत समेत पूरी दुनिया में जल रही है। बाबा रामदेव की बातें आज के समय में अधिक अपरिहार्य हो गई हैं। इन्‍होंने भारत के प्राचीन ज्ञान योग को घर-घर तक पहुंचाया। इससे पहले लोगों में योग इतना फेमस नहीं था। इन्‍होंने टीवी चैनल के माध्‍यम से योग करवाकर लोगों को स्‍वस्‍थ रहने की प्रेरणा दी है।बाबा रामदेव की बातें

ज्ञान का अर्थ

1.कर्म ही मेरा धर्म है। कर्म ही मेरि पूजा है।

2. मैं मात्र एक व्यक्ति नहीं, अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र व देश की सभ्यता व संस्कृति की अभिव्यक्ति हूँ।

3.निष्काम कर्म, कर्म का अभाव नहीं, कर्तृत्व के अहंकार का अभाव होता है।

4.पराक्रमशीलता, राष्ट्रवादिता, पारदर्शिता, दूरदर्शिता, आध्यात्मिक, मानवता एवं विनयशीलता मेरी कार्यशैली के आदर्श हैं।

5.जब मेरा अन्तर्जागरण हुआ तो मैंने स्वयं को संबोधि व्रक्ष की छाया में पूर्ण त्रप्त पाया।

6.इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है।

7.ध्यान-उपासना के द्वारा जब तुम ईश्वरीय शक्तियों के संवाहक बन जाते हो तब तुम्हें निमित्त बनाकर भागवत शक्ति कार्य करती है

8.बाह्य जगत में प्रसिध्दि की तीव्र लालसा का अर्थ है-तुम्हें आन्तरिक सम्रध्द व शान्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है।

9.ज्ञान का अर्थ मात्र जानना नहीं, वैसा हो जाना है।

10.द्रढता हो, जिद्द नहीं। बहादुरी हो, जल्दबाजी नहीं। दया हो, कमजोरी नहीं।

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