महाभारत के पांडवों और कौरवों के रियासतों का साक्षात गवाह रहा है, हस्तिनापुर का सबसे बड़ा जैन मंदिर

हस्तिनापुर, जिला मेरठ से 37 किमी एवं दिल्ली से 100 किमी की दूरी पर स्थित है, जो मेरठ-बिजनौर रोड से जुड़ा हुआ है। यह स्थान राजसी, भव्यता, शाही संघर्षों एवं महाभारत के पांडवों और कौरवों के रियासतों का सक्षात गवाह है। विदुर्र टीला, पांडेश्वर मंदिर, बारादरी, द्रोणादेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, द्रौपदी घाट एवं कामा घाट आदि जैसे स्थल पूरे हस्तिनापुर में फैले हुए हैं। हस्तिनापुर जैन श्रद्धालुओं के लिए भी काफी प्रख्यात है। वास्तुकला के विभिन्न अद्भुत उदाहरण एवं जैन धर्म के विभिन्न मान्यताओं के केंद्र भी यहां पर भ्रमण योग्य हैं, जैसे जम्बुद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर, अस्तपद जैन मंदिर एवं श्री कैलाश पर्वत जैन मंदिर आदि।

महाभारत के पांडवों और कौरवों के रियासतों का साक्षात गवाह रहा है, हस्तिनापुर का यह जैन मंदिर
जंबुद्वीप में सुमेरू पर्वत एवं कमल मंदिर एवं मंदिर का पूरा परिसर भ्रमण योग्य है, हस्तिनापुर सिख समुदायों के लिए भी एक बड़ा मान्यता का केंद्र है, क्योंकि यह पंच प्यारे भाई धर्म सिंह का जन्म स्थल भी है, जो गुरु गोविंद सिंह जी के पांच शिष्यों में से एक थें। सिख धर्म के लिए सैफपुर कर्मचनपुर का गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ा तीर्थ केंद्र है।
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पवित्र एवं ऐतिहासिक स्थान होने के अतिरिक्त, हस्तिनापुर वन्यजीव के लिए भी काफी प्रख्यात है, क्योंकि यहां पास में अभ्यारण्य वनस्पति की विभिन्न प्रजातियों से सुसज्जित है एवं साथ ही वन्यजीव पर्यटन एवं एडवेंचर, ईको-टूरिज्म एवं संबंधित गतिविधियों का भी केंद्र है। हस्तिनापुर में रहने एवं खाने की बेहतर सुविधा भी उपलब्ध है। वन विभाग का रेस्ट हाउस एवं पी.डब्लू.डी. का अतिथि गृह भी यहां पर स्थित है, साथ ही जैन धर्मशाला भी स्थित है, जहां रुकने की बेहतर सुविधा उपलब्ध है।

श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, हस्तिनापुर में सबसे बड़ा जैन मंदिर है। यहां यह मान्यता है कि प्रमुख मंदिर सन् 1801 में निर्मित किया गया था, जिसका निर्माण राजा हरसुख राय के संरक्षण में हुआ था, जो सम्राट शाह आलम II के कोषाध्यक्ष थे। प्रमुख मंदिर में मुख्य देव 16वीं जैन तीर्थांकर, श्री शांतीनाथ, पद्मासन अवस्था में विराजमान हैं। यहां पर दोनो ओर 17वें एवं 18वें तीर्थांकर, श्री कुंठुनाथ एवं श्री अरानाथ की मूर्तियां भी स्थापित है। यहां इसी परिसर में दर्जनों की संख्या में अन्य मंदिर एवं ऐतिहासिक इमारतें भी स्थापित हैं, जिनमें से ज्यादातर को 20वीं शताब्दी के बाद बनाया गया।
श्री दिगंबर जैन मंदिर तीर्थ क्षेत्र समिती जैन श्रद्धालुओं के लिए बहुत सी धर्मशालाओं का भी रखरखाव कर रही है। यहां पर अन्य बहुत सी सुविधाएं हैं, जैसे डाकघर, पुलिस सब-स्टेशन, जैन गुरुकुल एवं उदासीन आश्रम। इसके अतिरिक्त यहां आसपास विभिन्न आकर्षक पर्यटक स्थल भी हैं, जैसे जल मंदिर, जैन पुस्तकालय, आचार्य विद्यानंद संग्रहालय, 24 टंक्स एवं प्राचीन निशियाजी है, जो सब प्रमुख मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित हैं।
कैलाश पर्वत रचना हस्तिनापुरकैलाश पर्वत एक 131 फीट ऊंची इमारत है, जिसका निर्माण श्री दिगंबर जैन मंदिर हस्तिनापुर के तत्वावधान में किया गया है। यहां पर मुख्य देव ऋषभनाथ हैं, जो प्रथम तीर्थांकर थे। अप्रैल 2006 में कैलाश पर्वत का पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव पूरा हुआ। कैलाश पर्वत परिसर में विभिन्न जैन मंदिर स्थापित, हैं, यात्री निवास, भोजनशाला, ऑडीटोरियम, हेलीपैड एवं बहुत से पर्यटक आकर्षण स्थल स्थित हैं।
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