जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ा है उत्तरप्रदेश का जागेश्वर, रोचक है इसका इतिहास

मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध जागेश्वर, भारत के उत्तराखंड राज्य का एक खूबसूरत नगर है, जो अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह धार्मिक स्थल 100 से भी ज्यादा प्राचीन मंदिरों का घर है, इसलिए इसे जागेश्वर घाटी मंदिर या जागेश्वर धाम के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

जागेश्वर का इतिहास

जागेश्वर के मंदिरों का इतिहास का अस्पष्ट है, यह स्थल भारत के उन चुनिंदा प्राचीन स्थलों में गिना जाता है, जहां अध्ययन और विद्वानों का ध्यान नहीं पहुंच पाया। फिर भी यहां मौजूद कई मंदिरों की वास्तुकला और शैली को देख इन्हें 7वीं से 12 शताब्दी के मध्य का बताया जाता है। इस स्थल को लेकर यह भी कहा जाता है किआदि शंकराचार्य ने इनमें से कुछ मंदिरों का निर्माण किया था, लेकिन इस दावे का समर्थन करने के लिए भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं।

महत्व और प्रसिद्ध मंदिर

विनायक क्षेत्र, अर्टोला गांव से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है, यह वो स्थल है, जहां से जागेश्वर की शुरुआत होती है। श्री वृद्ध या बुद जागेश्वर यहां मौजूद प्राचीन मंदिर है, जो जागेश्वर के उत्तर से तीन कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पहाड़ी पर बसा है, जहां तक पहुंचने के लिए आपको ट्रेकिंग का सहारा लेना होगा। आप यहां के पुश्ती देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यहां देवियों की मूर्तियां स्थापित है।

जागेश्वर के खूबसूरत मंदिर

जागेश्वर उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल और शैव परंपरा का एक पवित्र स्थान है। चूंकि यह एक प्राचीन स्थल है, इसलिए यह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत संरक्षित है। यह स्थल कई खूबसूरत मंदिरों का संग्रह स्थल है, जिसमें दांडेश्वर मंदिर, चंडी-का-मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी, नव-ग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर और सूर्य मंदिर शामिल हैं। श्रावण मास के दौरान यहां जागेश्वर मॉनसून फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दराज से पर्यटक और श्रद्धालुओं का आगमन होता है। महाशिवरात्रि के दौरान यहां शिवभक्तों का भारी जमावड़ा लगता है।

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