जियो ने बदल दिया ग्रामीण भारत, पॉर्न देखने में दे रहे बड़े शहरों को टक्कर

नई दिल्ली। कन्ज़्यूमर टेक्नॉलजी में इनोवेशन को विश्वस्तरीय मुख्य धारा में लाने का श्रेय दिया जाता है। लगातार लंबी होती इस लिस्ट में अब मोबाइल डेटा भी शामिल हो गया है। दरअसल, जब से रिलायंस जियो की फ्री सेवाएं शुरु हुई हैं तबसे  मोबाइल पर पॉर्न देखने का आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ा है क्योंकि देश की टेलिकॉम इंडस्ट्री में डेटा की लागत बहुत कम हो गई है।

वीडियो व्यूअरशिप पर नज़र रखनेवाली संस्था विडूली के अध्ययन में पता चला है कि कठिन प्रतिस्पर्धा के कारण पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में डेटा दरों में भारी गिरावट से अडल्ट कॉन्टेंट देखने में 75 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है। विडूली की इस स्टडी के आंकड़े ईटी के पास विशेष रूप से उपलब्ध हैं।

भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में पिछले साल सितंबर में कदम रखनेवाली कंपनी रिलायंस जियो की अग्रेसिव प्राइसिंग ने भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर जैसी पहले से मौजूद कंपनियों को डेटा दरों में भारी कटौती करने को मजबूर कर दिया। इस कारण मुख्य रूप से टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में पॉर्न देखने के चलन में भारी बढ़ोतरी हुई। विडूली के आंकड़े बताते हैं कि लोग वीडियो डाउनलोड करने की जगह ऑनलाइन देखना ज़्यादा पसंद कर रहे हैं।

क्लीनर पर्किन्स की इंटरनेट ट्रेंड्स रिपोर्ट 2017 के मुताबिक, ऐसा भी वक्त आया जब मार्च के आखिर में डेटा की खपत करीब 13 अरब जीबी तक पहुंच गई जो पिछले साल जून के आंकड़े से नौ गुना ज्यादा है। विडूली के सीईओ और को-फाउंडर सुब्रत कार ने ईटी को बताया, ‘देश में ऑनलाइन अडल्ट विडियो देखने का चलन 75 प्रतिशत जबकि देखने की अवधि में 60 प्रतिशत का इजाफा हो गया।’ उनकी संस्था फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सभी प्लैटफॉर्मों पर विडियो देखे जाने पर नजर रखती है।

चूंकि, टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में लोगों के पास कम स्टोरेज वाले मोबाइल हैं, इसलिए विडियो डाउनलोड करने की जगह ऑनलाइन ही देखे जा रहे हैं। इससे भी ज्यादा मजेदार बात यह है कि करीब 80 प्रतिशत छोटे-छोटे वीडियो देखे गए और 60 प्रतिशत व्यूअरशिप टीयर 2 और टीयर 3 शहरों से मिले हैं।

18 से 34 वर्ष के उम्र समूह में अडल्ट कॉन्टेंट के अलावा संगीत, मनोरंजन, क्षेत्रीय समाचार और हंसी-मजाक वाले कार्यक्रमों की ज्यादा खपत हुई है। सीईओ सुब्रत कार ने कहा, ‘इन चारों श्रेणियों की व्यूअरशिप में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। गौरतलब है कि ज्यादातर कन्टेंट मोबाइल फोन पर ही देखे जा रहे हैं। एक स्टडी में सामने आया है कि लोग हर हफ्ते 28 घंटे मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं जो टेलिविजन पर बिताए जा रहे वक्त से 7 गुना ज्यादा है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जून 2017 तक देश का मोबाइल यूज़र बेस बढ़कर 41 से 42 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। डेटा खपत में ग्रामीण भारत शहरों को तेजी से पछाड़ रहा है। यह ट्रेंड और मजबूत होने वाला है क्योंकि डेटा दरें बढ़ने के कोई आसार नहीं हैं।

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