जानिए सावन के महीने में कब-कब बनेंगे शिव से मनचाहा वरदान दिलाने वाले शुभ योग…

हिन्दू धर्म में श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से पूर्णिमा तक माह पर्यंत भगवान शिव की आराधना-अभिषेक के लिए प्रत्येक दिन शुभ है, लेकिन इन दिवसों में कुछ दिवस-मुहुर्त ऐसे भी होते हैं, जिनमें शिव पूजा, कांवड़ का जल, रुद्राभिषेक, आदि किया जाए तो और भी अधिक शुभ फलदायी होता है।

 

 

बतादें की श्रावण का प्रथम सोमवार 22 जुलाई को पड़ेगा। वहीं संयोग से इस दिन मरुस्थलीय नागपंचमी है। जहां इस दिन रुद्राभिषेक करने से नागदेव प्रसन्न रहते हैं और संतान सुख में बाधा नहीं आती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष या कालसर्प योग है, उन्हें इस पूजन से तत्क्षण शांति मिलेगी।

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खबरों के मुताबिक श्रावण मास को दूसरा सोमवार 29 जुलाई को है। जहां इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी रहेगा। इस दिन के रुद्राभिषेक से मानसिक अशांति, गृह क्लेश और स्वास्थ्य संबंधी चिंता दूर हो जाएगी। आरोग्य की दृष्टि से किया गया अनुष्ठान विशेष शुभता प्रदान करने वाला रहेगा।

देखा जाये तो तीसरा सोमवार अद्भुत मुहूर्त में आ रहा है जो कि पांच अगस्त को पड़ेगा। यह दिन श्रावण के श्रेष्ठ मुहूर्तों में एक है। इस दिन पूर्णा तिथि है, सोमवार का नक्षत्र हस्त भी विद्यमान है और सिद्धि योग के साथ-साथ वर्ष की श्रेष्ठ पंचमी यानी नाग पंचमी भी है।

दरअसल श्रावण का चौथा और अंतिम सोमवार 12 अगस्त को है। इस दिन भी सोम प्रदोष व्रत है। इस दिन शिव-पार्वती साथ-साथ पृथ्वी पर विचरण करेंगे। अत: इस दिन रुद्राभिषेक करने से सारे मनोरथ सफल होंगे।

श्रावण में ही एक अगस्त को दोपहर 12:12 मिनट तक गुरु पुष्य योग भी बन रहा है। अत: जन्म कुंडली के ग्रह दोषों को दूर करने के लिए यह मुहूर्त अतिशुभ फलदायी रहेगा।

लेकिन इसके अतिरिक्त 23 जुलाई को दोपहर 01:14 मिनट तक, 25 जुलाई को सायंकाल 05:39 मिनट तक, 29 जुलाई को सायं 06:22 मिनट तक, 01 अगस्त को दोपहर 12:12 मिनट तक, 04 अगस्त के सूर्योदय से लेकर 05 अगस्त के सूर्योदय तक, 08 अगस्त की रात्रि 09:28 मिनट से 09 अगस्त की रात्रि 09:58 मिनट तक और 11 अगस्त के सूर्योदय से लेकर मध्य रात्रि 12:45 मिनट तक सर्वाद्र्धसिद्धि योग भी है, जिसमें किए गए कार्य, जप-तप, पूजा-पाठ कभी निष्फल नहीं होते। 30 जुलाई को श्रावण माह मास शिवरात्रि भी है। इस दिन भगवान शिव पर जलाभिषेक करके अभीष्ट सिद्धि की जा सकती है।

 

 

 

 

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