जानिए लोकसभा के मझधार में वायनाड सीट बन सकेगीं राहुल गांधी की ‘लाइफबोट’?

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के अमेठी और केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने वाले हैं।  जहां अमेठी में राहुल गांधी की टक्कर सीधे तौर पर भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से होगी। लेकिन वायनाड में कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का सामना लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) से है।

 

राहुल गाँधी

 

बता दें की दक्ष‍िण भारत में एलडीएफ अन्य दलों को कड़ी चुनौती देती है। लेकिन कांग्रेस केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने राहुल गांधी को वायनाड सीट से मैदान में उतारा है।

जहां कांग्रेस ने राहुल की सीट को लेकर सेफ गेम खेला है।  वहीं अगर अमेठी सीट हाथ से जाती है तो वायनाड सीट राहुल के लिए लाइफबोट का काम करेगी।  केरल के सीएम पी. विजयन ने कहा है क‍ि राहुल की लड़ाई लेफ्ट से है, न क‍ि भाजपा से हैं।

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वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो लोकसभा चुनाव के लिए एलडीएफ के प्रचार और उम्मीदवारों पर स्पष्ट फैसला हो चुका है। कांग्रेस ने इसमें कुछ देर कर दी हैं। अब राहुल का नाम वायनाड से आने के बाद यूडीएफ भी एलडीएफ की तरह मजबूती से अपनी दावेदारी सामने रख सकेगी।

देखा जाये तो कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी को वायनाड सीट से खड़ा करना पार्टी के अंदर की कलह को खत्म करना था. केरल कांग्रेस के दो बड़े नेता रमेश चेन्नीथ्ला और ओमान चांडी के बीच वायनाड सीट को लेकर मतभेद था. तय नहीं हो पा रहा था कि वायनाड सीट से कौन उम्मीदवार हो। लेकिन अब राहुल गांधी को मैदान में उतार कर इसका हल निकाला गया है।

दरअसल कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वायनाड सीट से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक तीनों राज्य जुड़ते हैं. राहुल गांधी तीनों राज्यों का चेहरा बनेंगे. इससे उत्तर और दक्षि‍ण भारत का अच्छा संबंध बनेगा। जहां स्मृति पर तंज करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि उन्हें पहले चांदनी चौक से भगाया गया, फिर अमेठी से करेंगे।  साथ ही इस बार उनकी हैट्रिक बनेगी. स्मृति ईरानी तीसरी बार हारने वाली हैं।

इंदिरा गांधी ने 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से लोकसभा उपचुनाव जीता था. वहीं, सोनिया ने 1999 में कर्नाटक की ही बेल्लारी सीट जीती थी। उन्होंने सुषमा स्वराज को हराया था।

अमेठी सीट पर भाजपा नेता स्मृति ईरानी पिछले पांच सालों से काफी ऐक्टिव हैं।  साल 2014 में राहुल से हारने के बाद क्षेत्र में मौजूद कमियों को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साध रही हैं। वहीं, केरल में वर्तमान वामपंथी सरकार ने लोकसभा चुनाव को लेकर मजबूत तैयारी कर रखी है. इसी को देखते हुए राहुल को दो सीटों से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस ने लिया हैं।

 

 

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