पीरियड्स के दौरान आज भी लड़कियों और महिलाओं को छुट्टी नहीं दी जाती है। कंपनियों में इस तरह की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में कई नारीवादी सवाल उठाते हैं कि महिलाओं की जरूरत सिर्फ पैड और कपड़े ही नहीं हैं, बल्कि मासिक धर्म के दौरान उन्हें छुट्टी भी मिलनी चाहिए ताकि भयानक दर्द से गुजरने के दौरान आराम मिल सके। हालांकि, भारत में दो कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने महिलाओं को पीरियड्स की छुट्टी दी और इसे महिलाओं का अधिकार बताया है।
बता दें की मुंबई की कल्चर मशीन और डिजिटल मार्केटिंग ऑर्गनाइजेशन गोजूपा पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेड छुट्टी देती है। यानी छुट्टी के दौरान उनका वेतन नहीं कटता है।
जहां इन कंपनियों ने अपनी महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म में छुट्टी देकर अगल तरह की क्रांति की है। हालांकि अभी यह भारत में ट्रेंड नहीं बन सका है, अगर महिलाएं और लड़कियां काम कर रही हैं तो पीरियड्स के दौरान उन्हें अपनी सैलरी कटाकर छुट्टी लेनी पड़ती है।
दरअसल भारत में अभी तक सारी ग्रामीण महिलाओं तक पैड की पहुंच ही नहीं है। ऐसे में मासिक धर्म के दौरान पेड छुट्टी की बात दूर है। जापान ऐसा देश है जिसने सबसे पहले महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी दी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही जापान में मासिक धर्म की छुट्टी दी जाने लगी थी। इंडोनेशिया में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को दो छुट्टी दिये जाने का कानून है। लेकिन फिर भी कुछ कंपनियां इस कानून की अनदेखी करती हैं।
ताइवान में भी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को तीन दिन की छुट्टी दी जाती है। दक्षिण कोरिया ने तो साल 2001 में महिलाओं और पुरुषों के बीच के भेदभाव को कम करने के लिए नई नीति तक बनाई थी। यहां भी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान छुट्टी मिलती है। इसी तरह चीन में भी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान एक या दो दिन की छुट्टी मिलती है।