जानिए मोदी सरकार 29 कंपनियों से बेजेगी अपना हिस्सा , इसमें आपका होगा क्या नुकसान…

खर्चा पानी कैसे चले? हम आप घर चलाने के लिए परेशान हैं. सरकार देश. दूसरी मोदी सरकार पैसा जुटाने के लिए विनिवेश पर बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक विनिवेश के लिए करीब 29 कंपनियों की लिस्ट तैयार है. इनमें से कुछ कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी बेची जाएगी और कुछ की जमीनें.

बतादें की सरकार विनिवेश से करीब 1 लाख करोड़ रुपए जुटाएगी. आइए जानते हैं क्या है सरकार की प्लानिंग? किन कंपनियों में विनिवेश हो सकता है? और क्या होता है विनिवेश? सब कुछ समझें आसान भाषा में.

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विनिवेश, निवेश का उलटा होता है. इसके तहत कोई सरकारी कंपनी अपना हिस्सा या शेयर किसी निजी कंपनी या आम लोगों को बेचती है. विनिवेश शेयर बेचकर मालिकाना हक घटाने की प्रक्रिया है. इससे सरकार को दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए धन मिल जाता है. कई बार लोग निवेश को निजीकरण समझ लेते हैं. पर ऐसा नहीं है. आमतौर पर सरकार किसी सरकारी पीएसयू में 51 फीसदी हिस्सेदारी बनाए रखना चाहती है. पर अब इस नीति में भी बदलाव होता दिख रहा है.

सरकार ने बजट में कहा है कि वो रणनीतिक बिक्री करेगी. रणनीतिक बिक्री के तहत किसी सरकारी कंपनी का स्ट्रैटजिट पार्टनर यानी रणनीतिक साझीदार चुना जाता है. फिर उसे शेयरों का पूरा ब्लॉक ट्रांसफर किया जाता है.

लेकिन कई बार इसमें मैनेजमेंट का ट्रांसफर भी शामिल होता है. मतलब ये कि किसी कंपनी में हिस्सेदारी बेचने पर नए खरीदार को मैनेजमेंट में भी हिस्सा दिया जाता है. रणनीतिक बिक्री का एक मतलब ये भी होता है कि इसके तहत सरकार किसी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम भी कर सकती है.

वहीं वित्त मंत्रालय के अधीन एक डिपार्टमेंट है. नाम है डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट पब्लिक असेट मैनेजमेंट. शुद्ध हिंदी में कहें तो निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग. पहले इसका नाम विनिवेश विभाग होता था. मोदी सरकार ने इस विभाग को नया नाम दे दिया है.

ऐसा माना जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से ऐसे संकेत हैं कि इकोनमी में गिरावट है. साथ ही जीएसटी जैसे टैक्स का कलेक्शन भी सरकार की उम्मीदों के मुताबिक नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सरकार को विनिवेश की प्रक्रिया को तेज करना ही होगा.

वहीं सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने के लिए मोदी सरकार को बड़ी इच्छाशक्ति भी दिखानी होगी. इस साल 1 लाख करोड़ रुपए जुटाने के लिए तमाम कंपनियों में रणनीतिक हिस्सेदारी और जमीनों को बेचना होगा. बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपए विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है.

दरअसल सरकार की कई कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. ऐसी कंपनियों में विनिवेश के लिए उनके कुछ और शेयर आम लोगों को बेचे जा सकते हैं. इसी तरह कुछ कंपनियों के IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफर आ सकते हैं.

जहां आईपीओ के तहत किसी कंपनी के शेयर पहली बार जनता के लिए जारी किए जाते हैं. इसके अलावा कुछ कंपनियों की जमीन और बिल्डिंग बेचने की बात चल रही है. शत्रु संपत्ति की बिक्री से भी पैसा जुटाने की योजना है.

सरकारी कंपनियों के विनिवेश से खजाना भरने की रणनीति को कई जानकार सरकार का सही कदम बता रहे हैं. उनका मानना है कि इससे देश में पूंजी का प्रवाह ठीक रहेगा. मगर मोदी सरकार के लिए ये सब कुछ इतना आसान भी नहीं है.

लेकिन राजनीतिक तौर पर इस फैसले का विरोध भी होता रहा है. विपक्ष से लेकर कर्मचारी तक विनिवेश के विरोध के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. इतिहास इसका गवाह रहा है.

 

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