जानिए पांच दिन बाद जेट से छीन जाएगा उड़ान का अधिकार…

जेट एयरवेज के पास केवल पांच दिन बचे हैं अगर वो जमीन से हवा में वापस उड़ना चाहती है। पांच दिन बाद केंद्र सरकार जेट के विदेशी उड़ान के स्लॉट अन्य विमानन कंपनियों को दे देगी। इससे जेट को फिर से शुरू करने पर फिर से संकट पड़ सकता है।
जेट airway
बता दें की जमीन पर आ चुकी जेट एयरवेज के विदेशी रूट सरकार अन्य हवाई कंपनियों को देने का प्लान कर रही है। देश में कार्यरत अन्य हवाई कंपनियां जैसे स्पाइसजेट, इंडिगो, एयर एशिया, विस्तारा, गो एयर और एयर इंडिया सरकार से जेट के खाली हो चुके अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर उड़ान भरने की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
वहीं जेट को सरकार की तरफ से एक हफ्ते में 42 हजार से अधिक विदेशी उड़ानों के लिए सीट बुक करने की मंजूरी मिली हुई है। अगर यह सीटें अन्य उड़ानों को चली जाती है तो फिर नए निवेशक भी जेट में पैसा लगाने से हाथ खींच सकते हैं।
जहां जेट के पास फिलहाल हर हफ्ते दुबई के लिए 13 हजार, सिंगापुर की 11032, अबू धाबी की 10584, थाईलैंड की 10016 और कतर की 8463 सीटें बुक करने करने का लाइसेंस सरकार की तरफ से मिला हुआ है।
लेकिन एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के कंशोर्सियम और नए निवेशकों ने सरकार से कहा है कि वो 10 मई तक इंतजार कर ले ताकि इसमें पैसा लगाने के बारे में सोचा जा सके।
लेकिन जेट को खरीदने के लिए एतिहाद, टीपीजी और एनआईआईएफ ने निविदाएं जमा कर दी है। लेकिन अभी तक इनमें से किसी ने भी बोली नहीं लगाई है। कर्मचारियों ने भी गुजारिश की है कि अगर बोली नहीं लगती है तो फिर वो अपने दम पर इसको चलाने की कोशिश करेंगे।
एयर इंडिया के बाद जेट ही सबसे ज्यादा विदेशी उड़ानों को संचालित करता था। फिलहाल जेट के बंद होने से विदेशी रूट्स पर किराये में 35 फीसदी का इजाफा हो सकता है।
दरअसल भारी नकदी संकट से डूबने की कगार पर पहुंचे जेट एयरवेज के कर्मचारी कंपनी को बचाने के लिए आगे आए हैं। कर्मचारियों के एक समूह ने बाहरी निवेशकों की मदद से 3,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है और एयरलाइन में हिस्सेदारी खरीदने को एसबीआई की अगुवाई वाले कर्जदाताओं के समूह से बोली लगाने की अनुमति मांगी है।
जहां मेक माई ट्रिप के अनुसार, पिछले एक साल में भारत से दुबई, लंदन, न्यूयॉर्क, सिंगापुर और बालि जाने का किराया चार फीसदी से लेकर 32 फीसदी तक बढ़ा है।

 

 

 

 

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