जानिए गुरु से दीक्षा किस मास में लेनी चाहिए ?

 

व्यक्ति जब दीक्षा देता है, अपने आप को व्यक्ति गुरु बनाता है और अपने शरीर के साथ में शिष्य के शरीर को जोड़ने लगता है, तो … महत्त्वपूर्ण अंश देने में समर्थ न हो, ऐसे आदमी को दीक्षा नहीं देनी चाहिए और न ऐसों से किसी को दीक्षा लेनीचाहिये।

आखिर ! गुरु से दीक्षा किस मास में लेनी चाहिए ?

 चैत्र मास में दीक्षा लेने से :- पूर्ण जीवन दुखों से भर जाता है।

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बैशाख मास में दीक्षा लेने से :- दीक्षा सर्व सिद्धि प्रदान करती है।

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ज्येष्ठ मास में दीक्षा लेने से :–कभी भी मृत्यु हो सकती है।

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अषाढ मास में दीक्षा लेने से:–संतान की प्राप्ति होती है।

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श्रावण मास में दीक्षा लेने से:– जीवन भर हानि होती है।

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भादों मास में दीक्षा लेने से:— जीवन दुखों से भर जाता है।

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अश्विन मास में दीक्षा लेने से:— सर्व सिद्धियां मिलने की संभावना रहती है।

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कार्तिक मास में दीक्षा लेने से:– ज्ञान की वृद्धि होती है।

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अगहन मास में दीक्षा लेने से:— सदा शुभ होता है।

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पौष मास में दीक्षा लेने से:– ज्ञान का नाश होता है।

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माघ मास में दीक्षा लेने से:– ज्ञान में वृद्धि होती है।

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फागुन मास में दीक्षा लेने से:– सब सुख प्राप्त होते हैं।

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इसमें किंचित मात्र शंशय नही है।

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