जानिए गुरुग्राम में ग्राउंड वाटर लेवल का हुआ बुरा हाल,हरियाणा में हो सकता हैं जलसंकट…

नई दिल्ली : गुरुग्राम खंड का ग्राउंड वाटर लेवल का बुरा हाल है। 1980 में यहां पानी तीन से 20 मीटर के मध्य मिल जाता था, लेकिन अब वाटर लेवल 108 मीटर नीचे तक पहुंच गया है।

 

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धरती की कोख दोहन से खाली हो रही है। यही हाल रहा तो अगले छह सालों में पानी का बड़ा संकट खड़ा होगा। यह खुलासा सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के सर्विस साइंटिस्ट डॉ. संजय पांडेय के रिसर्च में हुआ है।

 

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बता दें की डॉ. पांडेय ने पंजाब विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के प्रो. नवल किशोर व डॉ. माधुरी ऋषि के अधीन पीएचडी की है, उन्हें 28 अप्रैल को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पीएचडी की उपाधि प्रदान करेंगे। वहीं सर्विस साइंटिस्ट ने भूमि जल प्रबंधन पर रिसर्च किया। इसके लिए गुरुग्राम खंड व सोहना खंड के 18 गांवों को चुना।

 

देखा जाये तो साथ ही यह भी देखना था कि बनाए गए कानूनों का भी कितना पालन यहां हो रहा है। सात साल तक चले रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। गुरुग्राम खंड का उद्योग विहार, डूंडाहेड़ा, डीएलएफ सोसाइटी आदि इलाकों में पानी 108 मीटर तक पहुंच गया। पत्थर का स्टेटा आ गया। यह पानी पीने योग्य भी नहीं माना जाता और पानी बहुत कम होता है।

 

 

लेकिन इसका प्रमुख कारण सामने आया है कि यह इलाके ग्राउंड वाटर ट्रफ बन गए हैं, जो आसपास के इलाकों का पानी भी खींच लिए हैं। उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में भी पानी का संकट गहराता जा रहा है।

 

 

दरअसल जिस तरह गुरुग्राम में यमुना कैनाल के जरिये पानी प्रबंधन किया जा रहा है, उसी तर्ज पर अरावली की पहाड़ियों से आने वाले वर्षा जल को एकत्रित किया जाए और उसका ट्रीटमेंट कर प्रयोग करें। इससे काफी हद तक लोगों को लाभ मिलेगा और वह ग्राउंड से वाटर नहीं निकालेंगे।

 

 

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