जानिए क्या देश में बलात्कार के खिलाफ शरिया कानून की सच में हैं ज़रूरत…

नई दिल्ली   : क्या बलात्कार को लेकर हमारे देश का कानून कमजोर है? क्या बलात्कारियों को कड़ी सज़ा नहीं मिलती? निर्भया से लेकर आजतक जब भी बलात्कार का कोई मामला सामने आता है तो हमेशा कमज़ोर कानून और कम सजा की दुहाई दी जाती है।

केस

 

 

लेकिन सच्चाई ये है कि बलात्कार के मामले में भी सज़ा-ए-मौत का प्रावधान है। जहां सच्चाई ये है कि कानून तो कड़े हैं मगर सज़ा दिलाने में वक्त लग जाता है. निर्भया के गुनहगारों को ही ले लीजिए, आज भी फांसी का फंदा उनके गले तक नहीं पहुंचा है।  वहीं शायद यही वजह है कि अब देश में पहली बार बलात्कारियों के लिए शरिया जैसे कानून की मांग उठाई गई है और ये मांग कश्मीर से आई है।

 

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देखा जाये तो पहले कठुआ फिर शिमला और उन्नाव.. और अब बांदीपोरा में मासूम बच्ची के साथ गैंगरेप की शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया गया। वहीं लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूट रहा है। जहां विपक्ष सरकार पर हमले कर रहा है।

 

और ऐसे में कई लोग शरिया कानून की बात कर रहे हैं। जहां कुछ का कहना है कि रेप जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों को शरिया कानून के अनुसार, पत्थर मारकर मौत की सजा देनी चाहिए।

लेकिन दिल्ली से निर्भया की मां का बयान भी आता है।  वो कहती हैं “निर्भया के दोषियों को फांसी कब होगी. सिर्फ बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ कहने से कुछ नहीं होता हैं। कुछ करना भी पड़ता है। जहां देश के प्रधानमंत्री अपनी सियासी रैलियों में कहते हैं कि ऐसे मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जा रही है।

दरअसल 20 साल के एक युवक ने पड़ोस में रहने वाली 3 साल की मासूम बच्ची को टॉफी का लालच देकर पहले तो घर से अगवा किया फिर सुनसान इलाके में ले जाकर उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. इसके बाद बदहवास हालत में उसे वहीं छोड़कर चला गया. काफी देर बाद ढूंढने पर बच्ची नज़दीक के खेतों में मिली हैं। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। घरवालों ने पुलिस को इत्तेला दी हैं।

 

जहां  पुलिस ने फौरन आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया । मगर घटना की जानकारी बाहर जाते ही लोग आरोपी को हाथों-हाथ सजा-ए-मौत देने की मांग करने लगे हैं।

अफगानिस्तान, ईरान, इराक, पाकिस्तान, सऊदी अरब, सूडान और यमन जैसे देशों में रेप के आरोपियों को शरिया कानून के तहत सज़ा दी जाती है. हालांकि शरीया कानून पूरी तरह भारत में लागू नहीं है मुस्लिम पर्सनल भारत में ज़रूर है।  वहीं ऐसे में सवाल ये है कि आखिर रेप के आरोपियों के लिए शरीयत में क्या कानून है?

 

 

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