जानिए कैसी होगी नई शिक्षा निति ,क्या होंगे बदलाव .

जून 2017 की बात है. नई शिक्षा नीति में हो रही देरी से मोदी सरकार सवालों से घिरी थी. तब तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन को फोन कर एक प्रस्ताव रखा. यह प्रस्ताव था नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने वाली कमेटी का नेतृत्व करने का. उस वक्त जावड़ेकर ने सिर्फ छह महीने का ही समय कस्तूरीरंगन कमेटी को दिया था. जावड़ेकर के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कस्तूरीरंगन ने कमेटी का चार्ज लिया और नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में जुट गए. हाल में सार्वजनिक हुए इस ड्राफ्ट को तैयार करने में देश की 74 प्रमुख संस्थाओं और 217 विद्वानों के प्रमुख तौर पर सुझाव लिए गए हैं.

शिक्षा निति

मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को व्यापक रूप से तैयार करने के लिए जमीनी स्तर से सुझाव हासिल करने की योजना की. पहले ईस्टर्न, सेंट्रल, नॉर्थ-ईस्टर्न, वेस्टर्न, सदर्न, नॉर्दर्न जोन की बैठक हुई. सितंबर से अक्टूबर 2015 के बीच सभी राज्यों को कवर किया गया. इस मीटिंग में राज्यों के शिक्षा मंत्री और अधिकारी शामिल हुए.

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इसके अलावा 36 राज्यों के 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 676 जिलों से भी सुझाव लिए गए.  कमेटी ने सभी तरह की पब्लिक और प्राइवेट शैक्षणिक संस्थाओं, एनजीओ, प्रमुख व्यक्तियों, टेक्निकल, मेडिकल एजूकेशन, लीगल, कृषि संस्थाओं से बात की.  एमएचआरडी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, स्किल डेवेलपमेट, लीगल अफेयर्स, विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय से भी सुझाव लिए गए. नीति आयोग, यूनिसेफ से भी चर्चा की गई.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जो मसौदा तैयार हुआ, उसकी सात लोगों की कमेटी ने समीक्षा की. इस कमेटी में फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स हैदराबाद के जनरल सेक्रेटरी जय प्रकाश नारायण, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु के चेयरमैन पी रामा राव, एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक जेएस राजपूत, विजय केलकर, अनिरुद्ध देशपांडे, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी दिनेश सिंह, मोहन दास रहे. यूजीसी के पांच अधिकारियों ने प्रशासनिक सहयोग दिया. इसमें यूजीसी के ज्वाइंट सेक्रेटरी देव स्वरूप, जितेंद्र कुमार त्रिपाठी, अंडर सेक्रेटरी तीर्थ राम, हितेश मानिक और द्वारका प्रसाद शामिल रहे

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इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में कुल 11 सदस्यीय कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का खाका तैयार किया. इसमें तत्कालीन मंत्री केजे अल्फोंस,  एसएनडीटीवी महिला विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति वसुधा कामत, पूर्व कुलपति राम शंकर कुरील, कृष्णमोहन त्रिपाठी, मजहर आसिफ, एमके श्रीधर, राजेंद्र प्रताप गुप्ता, शकीला  शम्सु शामिल रहे.

विविधता में भी एकता वाले इस देश के लिए शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने कई अल्पसंख्यक संगठनों से भी सुझाव लिए. इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, पारसी और बौद्ध संगठन रहे. अनुसूचित जाति, जनजाति, ट्रांसजेंडर्स, दिव्यांगजनों से भी बात की गई. मकसद रहा कि प्रत्येक नागरिक और वर्ग को नीति निर्माण में भाग लेने का अवसर प्रदान किया जाए. MyGov पोर्टल से ऑनलाइन सुझाव लिए गए.

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