जानिए आयकर विभाग में 19% बढ़ा है टैक्स रिटर्न का आंकड़ा…

आयकर विभाग ने कहा है कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वालों की संख्या घटी नहीं है और इसे सही तरह से समझा नहीं गया है ।  जहां विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 में ऑनलाइन दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 6.6 लाख की गिरावट पर सफाई देते हुए कहा लेकिन कहा है कि वित्त वर्ष के लिए उसकी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जो आंकड़े दिखाए गए हैं।

टैक्स return

जहां उनमें पिछले वित्त वर्षों के लिये दायर रिटर्न के आंकड़े भी शामिल हैं। ऐसे में विभाग का कहना है कि 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 19 फीसदी बढ़ी है।

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बता दें की असल में आयकर विभाग की वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के अनुसार मीडिया में खबर आई थी कि 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या इससे पिछले वित्त वर्ष के 6.74 करोड़ से घटकर 6.68 करोड़ रह गई है।

जहां केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया है कि जो दाखिल रिटर्न दिखाए गए हैं, उनमें पिछले आकलन वर्षों के रिटर्न भी शामिल हैं. उन्हें अलग कर देखा जाए तो 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 19 फसदी बढ़ी है।

दरअसल आयकर विभाग किसी एक वित्त वर्ष में दाखिल सभी रिटर्न की कुल संख्या को एक साथ जोड़कर बताता रहा है. उसके आधार पर साल दर साल की वृद्धि बताई जाती रही है।

देखा जाये तो विभाग ने आखिरी बार इस तरह का आंकड़ा 2 अप्रैल, 2018 में दिया, जिसमें 2017-18 में दाखिल रिटर्न की संख्या बताई गई है. विभाग ने इस बार 2018-19 में दाखिल रिटर्न पर इस तरह का बयान जारी नहीं किया है। लेकिन यानी इस बार पिछले आकलन वर्षों के लिये दाखिल रिटर्न को इनमें नहीं जोड़ा गया है।

वहीं आयकर कानून में वित्त वर्ष और आकलन वर्ष अलग-अलग हैं. आयकर के लिहाज से वित्त वर्ष वह वर्ष है जिसकी आय की गणना होती है, जबकि आकलन वर्ष वित्त वर्ष के बाद का वर्ष कहलाता है जिसमें पिछले पूरे साल की आय की गणना की जाती है और कर आकलन किया जाता है।

जहां फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 13.80 लाख करोड़ रुपये संग्रह करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह लक्ष्य 12 लाख करोड़ रुपये था।जहां प्रत्यक्ष करों में कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत आयकर शामिल हैं।

 

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