जानिए आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी पर इतना भड़की बसपा प्रमुख मायावती , जाने मामला…

नई दिल्ली  : याद कीजिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण। शपथ ग्रहण के दौरान यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास बसपा सुप्रीमों मायावती खुद गई थीं और फोटोग्राफरों के कैमरों ने सैकड़ों तस्वीर उतार ली थीं।

 

मायावती

 

बता दें की कांग्रेस के साथ बसपा प्रमुख का यह लाड़ राजनीति की नई वेवलेंथ पैदा कर रहा था, लेकिन इस समय लोकसभा चुनाव-2019 में मायावती का लहजा कांग्रेस के प्रति लगातार तल्ख होता जा रहा है।  जहां मायावती ने कांग्रेस की मध्यप्रदेश सरकार से अपना समर्थन वापस लेने तक की धमकी दे दी है।

खबरों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मानना है कि मायावती का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सपा-बसपा के गठबंधन को केवल 23 मई तक की दोस्ती बता रहे हैं।
वहीं भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेताओं की आशंका में काफी समानता है। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश से एक प्रभावी नेता को आशंका है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद मायावती की पार्टी बसपा भाजपा को समर्थन देकर उसकी केंद्र में सरकार बनवा सकती हैं।

दरअसल इसी तरह की आशंका पर भाजपा के नेता भी मुस्कराकर चुप्पी साध ले रहे हैं। एक तरह से उनके भीतर इसकी उम्मीद साफ दिखाई दे रही है।

ऐसे सवालों का बसपा के नेता सुधीन्द्र भदौरिया कोई जवाब नहीं देना चाहते। समाजवादी पार्टी के एक एमएलसी रहे सूत्र का कहना है कि अभी बसपा हमारी पार्टी के साथ है।
लेकिन चुनाव बाद क्या स्थिति बनेगी, उसकी कल्पना अभी नहीं की जा सकती। इन सबके बीच मायावती की चेतावनी के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान आया है। कमलनाथ ने मायावती को सुझाव दिया है कि क्या वह ऐसा करके भाजपा को फायदा पहुंचाना चाहती हैं?

बसपा के नेता कांग्रेस पार्टी को सशंकित निगाह से देख रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ प्रचारक नेता का कहना है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर बसपा को नुकसान पहुंचा रही है। सहारनपुर की सीट पर बसपा ने फजलुर्रहमान बर्क को टिकट दिया तो कांग्रेस पार्टी इमरान मसूद को उतार दिया।
वहीं फरुर्खाबाद, उन्नाव, मुरादाबाद में भी कांग्रेस का यही रुख रहा। कांग्रेस को पता है कि बसपा से निष्कासित नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी से अब बसपा प्रमुख मायावती के समीकरण अच्छे नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें न केवल उम्मीदवार बनाया, बल्कि नसीमुद्दीन को जिताने के लिए सबकुछ कर चुकी है।
जहां बताते हैं अल्पसंख्यकों का कांग्रेस से प्रेम मायावती की तकलीफ बढ़ा रही है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से अब कांग्रेस पार्टी बसपा के प्रति हमलावर हो रही है।

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