जानिए आखिर किसके कहने पर राहुल गांधी देंगे गरीबों के खाते में 72 हजार रुपये

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के ऐन पहले भारत के हर गरीब के खाते में 72,000 रुपये डालने का ऐलान कर के सियासी गलियारे में खलबली मचा दी है और ऐसे में एक बड़ा सवाल उठा रहा है कि राहुल गांधी को मिनिमम इनकम गॉरंटी (MIG) का यह आइडिया दिया किसने?

राहुल गाँधी

 

बता दें की द प्रिंट ने पार्टी के प्रमुख नेताओं के हवाले से यह खबर प्रकाशित की है कि यह आइडिया असल में साल 2015 के नोबल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट एंगस डीटन और फ्रेंच इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी का है। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक इन्हीं दोनों अर्थशास्‍त्र के विद्वानों ने राहुल गांधी से यह वायदा करने को कहा है।

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किताब के सहारे पहुंचे फ्रेंच अर्थशास्‍त्री तक-

वही कांग्रेस इन विद्वानों के पास एक शोध के जरिए पहुंची है। जहां असल में फ्रांसीसी मूल के अर्थशास्‍त्री थॉमस पिकेटी ने एक किताब लिखी है- Capital in the Twenty-First Century

बता दें की इसमें उन्होंने इसी विषय पर खास ध्यान खींचा है कि किस तरह से औद्योगिक क्रांति से पैदा हुई असमानता को कम किया जाए. कैसे कुछ धनाड्य परिवारों के कब्जे से पूंजी को निकालकर आम लोगों तक लाया जाए।

बताया जा रहा है कि बीते कुछ समय से राहुल गांधी ने इस विषय पर काम करने के लिए कई लोगों को लगा रखा था. उसी दौरान यह किताब मिली और फिर इसके जरिए इसके लेखक से मिलकर इस विशेष योजना पर बात की गई।

ज्यां द्रेज और अमर्त्य सेन के सहारे पहुंचे एंगस डीटन तक-

दरअसल नोबल पुरस्कार से नवाजे जा चुके अर्थशास्‍त्री ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट एंगस डीटन ने अपने जीवन का एक अहम हिस्सा इसी विषय पर काम करते हुए बिता दिया कि आय असमानता की खाई को कैसे पाटा जाए।

साथ ही उन्होंने गरीबी और स्वास्‍थ्य पर काफी काम किया है। अहम बात यह है कि उनका ध्यान भारत की इकोनॉमी पर पहले ही रहा है। उन्होंने भारत के संदर्भ में भी कई शोध किए हैं।

राहुल गांधी के उन तक पहुंचने के बारे में बताया जा रहा है कि एंगस डीटन ने लेखन का काफी काम भारतीय नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज के साथ मिलकर किया है। जहां उल्लेखनीय है ये दोनों अर्थशास्‍त्री-लेखक पहले सोनिया गांधी की नेशनल एडवाइजरी कॉउंसिल में रहे हैं।

खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेताओं ने इस आइडिया के बारे में दावा किया है कि यह कोई हवा-हवाई या जल्दबाजी में दिया गया, या फिर महज वोट पाने के लिए दिया गया भाषण नहीं है।

उनके अनुसार यह ऐलान करने से पहले एक गहन शोध, डाटा विश्लेषण, परामर्श और कांग्रेस शीर्षस्थ नेताओं के कई दौर के बैठकों के बाद लिया है। वही जानकारी के अनुसार MIG को लेकर पहले चरण की बैठक कांग्रेस के डाटा एनॉलिसिस विभाग के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती के मुंबई ‌स्थित घर पर हुई थी. इसमें पी चिदंबरम ने बैठक का नेतृत्व किया था।

लेकिन इसके बाद पार्टी के सामने आंकड़ों के समेत पूरी जानकारी रखी गई। जहां इसके बाद विदेशी विद्वानों से मशविरा किया गया हैं। जब कांग्रेस इस बात को लेकर पुख्ता हो गई कि ऐसा ऐलान करना उसके लिए संभव है तो आखिरकार सोमवार को राहुल गांधी ने यह ऐलान किया है।

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