जानिए अलसी के घरेलू नुस्खे, जो करे अनेक रोगों का उपचार

अलसी के चिकित्सीय उपयोग हमारी कई संहिताओं जैसे-चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग संग्रह में बताए गए है। आयुर्वेद के साथ-साथ अन्य चिकित्सा पद्धतियों जैसे यूनानी चिकित्सा एवं प्राकृतिक चिकित्सा में भी अलसी का जिक्र मिलता है तथा इसके चिकित्सीय गुणों एवं महत्वों का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है | वहीं से हमने कुछ महत्तवपूर्ण आयुर्वेदिक नुस्खे ढूंढे है जो कई रोगों को पूरी तरह ठीक करने तथा शरीर को चुस्त दुरुस्त बनाने में उपयोगी है तो आइये जानते है अलसी के घरेलू नुस्खे |

अलसी के घरेलू नुस्खे

  • अलसी को लहसुन के रस में पकाकर उसे कान में डालने से कान की सूजन मिटती है।
  • इसके बीजों को ठण्डे पानी में पीसकर लेप करने से सिर दर्द में लाभ मिलता है।
  • इसके बीजों को ईसबगोल के साथ पीसकर लगाने से संधिशूल (जोड़ों के दर्द) में बहुत लाभ होता है।
  • पिसी अलसी, शहद, मिल्क पाउडर, कसा हुआ नारियल तथा बारीक कटे हुए मेवे (अखरोट, बादाम, किशमिश), सबको एक कटोरी में बराबर मात्रा में लें। एक डिब्बे में सबको डालकर अच्छी तरह मिलाकर फ्रिज में रख दें। इस दिव्य नील मधु का रोज सुबह-शाम सेवन करें। इसे गुनगुने दूध में या मिल्कशेक बनाकर भी लिया जा सकता है। यह लम्बे समय तक खराब नहीं होता है। यह बच्चों व छात्रों के स्वास्थ्य के लिए, तेज दिमाग के लिए, कमजोरी में तथा अकेले रहने वाले मेहनत कश लोगो के लिए आदर्श व्यंजन है।
  • अंकुरित अलसी—सुबह 7-8 बजे अलसी को पानी में भिगो दें। 8 घण्टे बाद इसको छलनी में निकालकर साफ पानी से धोकर 5 मिनट रखा। रहने दें जिससे पानी निकल जाये। अब उसी बर्तन में इन्हें डालकर प्लेट ढककर रख दें। अगले दिन सुबह (24 घण्टे में) स्वादिष्ट अंकुरित अलसी नाश्ते के लिए तैयार है। इसमें टमाटर, हरी मिर्च व नींबू का रस ऊपर से डालकर खायें।
  • श्लैष्मिक कलाओं (Mucous Membrane) की जलन में अलसी का फाण्ट अच्छा रहता है। (पानी को उबालकर उसमें अलसी चूर्ण डालकर गैस बन्द कर दें, फिर कुछ समय पश्चात् उसे छान लें। इस तरह तैयार पेय, ‘फाण्ट’ कहलाता है।)
  • अलसी के फूल हृदय रोग में प्रयोग किये जाते हैं। पुष्पों का पेस्ट बनाकर 3 से 5 ग्राम सेवन करें।
  • वात प्रधान, वातरक्त (गठियाबाई) में दर्द को दूर करने के लिए अलसी को दूध में पीसकर लेप करें।
  • दमा—अलसी सांस की नलियों व फेफड़ों में जमे कफ को निकालकर दमा व खाँसी में राहत देती है।
  • (1) अलसी के 3 ग्राम चूर्ण को 120 मि.ली ग्राम जल में उबालें। एक घण्टे ढक कर रख दें। उसमें 20 ग्राम मिश्री या शहद मिलाकर सेवन से सांस की बीमारी में लाभ होगा।
  • (2) दमा के होने पर एक चम्मच अलसी पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घण्टे तक भिगो दें। उसे सुबह-शाम छानकर सेवन करें, बहुत लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी का होना चाहिये।
  • (3) इसके बीजों को सेंककर चूर्ण करके शहद के साथ लेने से सांस रोग में लाभ होता है।
  • हैजा–अलसी के 5-6 ग्राम चूर्ण को 50 ग्राम गर्म पानी को ठण्डा करके मिलायें, दिन में 3-4 बार पिलायें। इस प्रकार बार-बार पिलाने से लाभ होगा।
  • पेशाब सम्बन्धी रोग–अलसी के चूर्ण की 10-10 ग्राम मात्रा, दूध के साथ प्रयोग में लें। यह सुबह-शाम नाश्ते के साथ लें।
  • गर्म पानी में दरदरे पिसे बीजों को डालकर या इसके साथ एक तिहाई मुलहठी का चूर्ण मिलाकर क्वाथ (काढ़ा) बनाकर लें, जो कि मूत्र सम्बन्धी रोगों व रक्तातिसार में यह नुस्खा उपयोगी है।
  • पथरी—अलसी का ‘फाण्ट’ पीने से पथरी, सूजाक, फेफड़ों, पेट व पेशाब की जलन आदि रोग में होने वाली जलन शांत होती है। अलसी पित्त की थैली में पथरी नहीं बनने देती, यदि पथरी बन चुकी है तो छोटी-छोटी पथरियाँ घुलने लगती हैं। अलसी के 10 ग्राम बीज का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर लेने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे निकल जाती है।
  • (1) अलसी का दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलहठी 15 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। 3 घण्टे बाद छानकर पीयें। साँस नली का कफ जल्दी ही बाहर आ जायेगा। पेशाब भी खुलकर आयेगा।
  • (2) एक चम्मच अलसी पाउडर 360 मि.ली. पानी में तब तक धीमी आँच पर पकायें, जब तक पानी आधा न रह जाये। ठण्डा होने पर शहद या चीनी मिलाकर सेवन करें। यह नुस्खा जुकाम, सर्दी, अस्थमा के लिए बहुत उपयोगी है।
  • (4) अलसी को धीमी आँच पर खूब सेंक लें, ठण्डा होने पर मिश्री या चीनी मिलाकर रख लें। 3 से 6 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गर्म पानी से लें। जुकाम की हर स्थिति में बहुत लाभप्रद रहता है। इसे जुकाम के शुरु में ही लिया जाये तो जुकाम बिगड़ने नहीं पाता। इससे जुकाम बिना कष्ट के ठीक हो जाता है। यह सूखी खाँसी में बहुत लाभदायक है। जुकाम में इसका काढ़ा आश्चर्यजनक रूप से काम करता है।
  • खाँसी—अलसी को मन्द आँच पर भूनकर मिश्री मिलाकर पीसकर रख लें। 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी से यह चूर्ण दिन में 2 बार लें। कफ सूखकर सरलता से निकल जाता है और जुकाम में आराम हो जाता है।
  • दुखों से मुक्त होने का अचूक अवसर…
  • संधिशोथ —अलसी के बीज और ईसबगोल को पीसकर लेप करने से संधिशोथ में लाभ होता है।
  • वजन तथा ताकत बढ़ाने के लिए –अलसी में 20 प्रतिशत आवश्यक एमिनो एसिड युक्त अच्छे प्रोटीन होते हैं। खेलकूद व कसरत के बाद माँसपेशियों की थकावट प्रोटीन से मिनटों में दूर हो जाती है। अलसी शरीर को ताकत देकर नई ऊर्जा शरीर में भरता है तथा स्टेमिना बढ़ाती है।
  • प्लीहाशोथ (तिल्ली की सूजन)—अलसी क्वाथ में शहद मिलाकर सेवन करने से प्लीहा का सूजन तथा दर्द दूर होता है।
  • जुकाम—इसमें अलसी निम्न प्रकार से लाभ देती है :- (1) मन्द आँच पर अलसी को भूनकर चूर्ण बना लें। इसके बराबर मिश्री मिलाकर रख लें। 10 से 20 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।
  • (2) अलसी के पौधे को उबलते पानी में डालकर इस से निकली भाप लेने से जुकाम एवं कफ में लाभ होता है।
  • विसूचिका (Cholera रोग में )—अलसी बीज चूर्ण 5 ग्राम को 50 ग्राम मि.ली. गर्म पानी में मिलाकर इसे ठण्डा हो जाने पर 3-4 बार रोगी को पिलायें। इस प्रकार इसे बार-बार पिलाते रहने से कोलेरा रोग से आराम मिलता है।
  • संग्रहणी—संग्रहणी विकार को दूर करने के लिए अलसी चूर्ण कुछ दिनों तक सेवन करें। अनुपान में चित्रक चूर्ण के साथ छाछ का प्रयोग करें।
  • फोड़ा फुंसी होने पर —अलसी के चूर्ण को गुनगने दूध व पानी में मिलाकर उसमें थोड़ा हल्दी चूर्ण मिलाकर पीयें। सहने योग्य गर्म करके फोड़े पर लेप कर पान बाँधने से लाभ मिलता है, ऐसा 5-6 बार करना चाहिये।
  • पुरुषो के वीर्य विकार—अलसी के चूर्ण में समान खांड या मिश्री व चूर्ण की आधी मात्रा में देशी घी मिलाकर दिन में 3 बार एक-एक चम्मच सेवन करते रहने से शरीर ताकतवर बनता है। शुक्रमेह नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है। ये सब विकार दूर होकर रोगी सन्तानोत्पत्ति के योग्य हो जाता है।
  • प्रमेह में इसके बीजों को दूध में पीसकर लेप करना फायदेमंद होता है।
  • अलसी के बीज के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से सुजाक रोग में लाभ होता है।
  • अलसी 10 ग्राम व मुलहठी 5 ग्राम के क्वाथ में मिश्री डालकर सेवन करने से भी (सूजाक रोग ) पेशाब की जलन दूर होती है |

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