जाति की राजनीति के कारण बढ़ा छोटे दलों का कद, सभी पार्टियों की नजर

सपा-बसपा में गठबंधन होने के बाद अब वैसी पार्टियों के दिन फिरने वाले हैं, जिन्हें अभी तक कोई घास भी नहीं डाल रहा था. ‘जहां तेरी ये नजर है, मेरी जां मुझे खबर है’ की तर्ज पर देश की दोनों बड़ी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस की नजर अब उन पार्टियों पर टिक गयी है, प्रदेश में अपने पैरों पर खड़ी होना चाह रही है. कांग्रेस ने उन पार्टियों से संपर्क साधना शुरू भी कर दिया है, जिनके पूर्व में भाजपा से संबंध अच्छे नहीं रहे हैं.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जब यह कहा कि पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी शक्ति से अपनी विचारधारा का पालन करते हुए यह चुनाव लोकसभा लड़ेगी और भाजपा को पराजित करेगी. आजाद के इस बयान से यह साफ है कि कांग्रेस यूपी में अपने पैरों पर खड़ी होना चाह रही है.

दूसरा, वह भाजपा के उस जनाधार में सेंध लगाना चाह रही है. इतना ही नहीं, कांग्रेस उस दल की तलाश में भी है, जो सपा-बसपा का वोट भी उसकी तरफ खींच सके. इसके लिए मजबूत जातिगत वोटबैंक वाले छोटे दलों की तलाश हो रही है. चुनावों में इनकी भूमिका अहम मानी जा रही है. पिछड़े और दलितों के रहनुमा बनकर इन वोटकटवा लोगों ने कई का सियासी खेल खराब किया है.

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रालोद दे सकता है झटका

अजित सिंह की पार्टी रालोद सपा-बसपा गठबंधन पर किये गये सवाल को सफाई से टाल रहे हैं.  उनकी चुप्पी ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिये हैं. जाट वोट बैंक में मजबूत आधार रखने वाली रालोद पर अब भाजपा और कांग्रेस की नजर है. रालोद के अकेले लड़ने पर सपा-बसपा को नुकसान पहुंचना स्वभाविक है.

शिवपाल यादव जा सकते हैं कांग्रेस के साथ

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहि‍या) का गठन करने वाले शिवपाल यादव ने सपा-बसपा में जगह नहीं मिलने के बाद इशारा किया है कि वह कांग्रेस के साथ भी हाथ मिला सकते हैं. वह कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस हमसे संपर्क करेगी और हमसे बात करेगी, तो हम गठबंधन के लिए तैयार हैं.

सुभासपा व अपना दल

सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल का एक धड़ा भाजपा के साथ है. ओमप्रकाश राजभर योगी सरकार के मुखर आलोचक हैं.  अपना दल की अनुप्रिया पटेल भी ना-नुकुर करते हुए भाजपा के साथ है.

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निषाद और पीस पार्टी भी चर्चा में

गोरखपुर लोस उप चुनाव में निषाद पार्टी के नेता को सपा ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाया था. भाजपा की नजर इस बार निषाद पार्टी पर है क्योंकि किसी बड़े दल के साथ गठबंधन कर निषाद पार्टी अपने दायरे को बढ़ाने की इच्छुक है. पूर्वांचल में अल्पसंख्यक में प्रभाव रखने वाली पीस पार्टी कांग्रेस के संपर्क में है.

राजा भैया का जनसत्ता दल

सपा के करीबी निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी जनसत्ता दल का गठन किया है. सपा से रिश्ते बिगड़ने के बाद राजा भैया का यह बड़ा सियासी दांव है. राजा भैया की इस कवायद को सवर्णों को लामबंद करने की मुहिम के रूप में देखा जा रहा है.

 

 

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