जाट आरक्षण से रोक हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

जाट आरक्षणनई दिल्ली| हरियाणा अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए बुधवार को याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में जाटों को आरक्षण देने के लिए हरियाणा के कानून को लागू करने पर रोक लगा दी थी।

जाट आरक्षण की व्यवस्था

उच्च न्यायालय ने अपने 26 मई के अंतरिम आदेश में हरियाणा पिछड़ा वर्ग (नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण) कानून, 2016 के लागू करने पर रोक लगाई थी। इस कानून में जाट, जाट सिख, रोर, बिश्नोई, त्यागी, मुल्ला एजाट और मुस्लिम जाट को 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था है।

समिति के अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान शीर्ष अदालत पहुंचे हैं। उनका कहना है कि राज्य विधानसभा से पारित कानून को एक याचिका लंबित रहने से लागू करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती। उस याचिका में आरक्षण की व्यवस्था वाले कानून की वैधता को चुनौती दी गई है।

सांगवान का कहना है कि उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक की वजह से जाट समुदाय के बहुत सारे छात्र मेडिकल, इंजीनियरिंग, कानून और तकनीकी क्षेत्र के अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों में दाखिला का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं। यह भी कहा गया है कि वर्ष 2016-17 के लिए दाखिला की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

इसी तरह से याचिका में यह भी कहा गया है कि इस आदेश का जाट समुदाय पर उन भर्तियों में भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिन 41 हजार 735 खाली पदों के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग विज्ञापन भी जारी कर चुका है।

इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय एक पहले के फैसले में कह चुका है कि कानूनी प्रावधान को जनहित याचिका के जरिए चुनौती नहीं दी जा सकती।

इस बारे में वर्ष 2012 के एक मामले का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मुरारी ला गुप्ता की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने 26 मई को जाट आरक्षण पर रोक का जो अंतरिम आदेश जारी किया है वह बरकरार रहने लायक नहीं है।

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