BSF जवान गुरनाम सिंह शहीद, घुसपैठ की साजिश को किया नाकाम

जवान गुरुराम सिंहनई दिल्ली। अन्तराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की साजिश को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाने वाले बीएसफ जवान गुरुराम सिंह की शनिवार रात मौत हो गयी। 26 साल के इस जाबांज जवान ने यह सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अंतिम साँसे ली। इस जवान में मुठभेड़ में साथ पाकिस्तानी रेंजर्स और एक आतंकवादी को मार गिराया था।

जवान गुरुराम सिंह की मौत

जवान गुरुराम सिंह कल सुबह घायल हो गए थे जब पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें निशाना बनाया क्योंकि कठुआ जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ के बड़े प्रयास को नाकाम करने में उनकी अहम भूमिका रही थी।

पूरा देश शहीद गुरनाम की शहादत को सलाम करता है। गुरनाम सिंह ने जितनी जांबाजी से दुश्मनों का मुकाबला किया उतनी ही बहादुरी से जिंदगी की जंग भी लड़ने की कोशिश की। पाकिस्तानी रेंजर्स की एक गोली गुरनाम के सिर पर लगी थी। 50 घंटों से ज्यादा तक जम्मू के अस्पताल में गुरनाम को बचाने की हर कोशिश की गई लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

बीएसएफ के जवान गुरनाम सिंह 19-20 अक्टूबर की रात हीरानगर पोस्ट पर तैनात थे जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने भारत में घुसने की कोशिश की। उन आतंकियों पर गुरनाम सिंह और उनके साथियों की नजर थी। जाबांज गुरनाम ने अपनी राइफल से उन्हें सीधा निशाना बनाया।

गुरनाम सिंह की वजह से पाकिस्तान की साजिश नाकाम हो गई। अपनी हार से बौखलाए पाकिस्तान ने 22 तारीख की सुबह हीरानगर पोस्ट पर फायरिंग की। गुरनाम सिंह तब भी वहीं तैनात थे। उस दिन भी गुरनाम ने पूरी बहादुरी से उस फायरिंग का जवाब दिया। लेकिन इसी दौरान पाकिस्तानी स्नाइपर्स की एक गोली सीधे गुरनाम के सिर पर लगी।

घायल गुरनाम को तुरंत जम्मू के इस अस्पताल में ले जाया गया। खबर मिलते ही जम्मू के ही अर्निया सेक्टर में रहने वाले गुरनाम का परिवार भी यहां पहुंच गया। माता-पिता और पूरा देश गुरनाम की बहादुरी पर फख्र कर रहा था। बहन बताती है कि 24 साल के गुरनाम सिंह में देश सेवा की भावना बचपन से ही रही है, वो छोटी उम्र से ही फौज या बीएसएफ में शामिल होने का सपना देख रहे थे । 2010 में उनकी ये तमन्ना बीएसएफ में आकर पूरी हुई ।

जम्मू के अर्निया सेक्टर के रठाना मोड़ गांव में उनका पुश्तैनी घर है। परिवार में माता-पिता और भाई-बहन के अलावा उनकी नानी भी हैं । पिता कुलवीर सिंह पेशे से ड्राइवर हैं । पहले ट्रक चलाते थे, अब स्कूल बस चलाते हैं। बहन के मुताबिक जिस दिन गुरनाम को गोली लगी थी उसी दिन सुबह उन्होने अपनी मां को फोन किया था।

बीएसएफ ने गुरनाम सिंह का बदला उसी दिन ले लिया था जिस दिन उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स की गोली उन्हें लगी थी। बीएसएफ ने जवाबी कार्रवाई में 7 पाकिस्तानी रेंजर्स को मार गिराय़ा था।

इस कार्रवाई के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आया और उसने कई बार सीजफायर का उल्लंघन करते हुए सीमापार से फायरिंग की। पाकिस्तानी फायरिंग से सीमा पर बसे गांववालों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी लेकिन बीएसएफ की जवाबी कार्रवाई से ये लोग भी खुश हैं।

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