जल्दी के चक्कर में कंही फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र तो प्राप्त नहीं कर रहे हैं

मेरठ :
सावधान! कहीं आप जल्दी के चक्कर में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र तो प्राप्त नहीं कर रहे हैं। नगर निगम के ही कर्मचारियों का एक रैकेट ऐसे लोगों को शिकार बना रहा है, जिन्हें हाथोंहाथ प्रमाण पत्र चाहिए।
500 रुपये से लेकर एक हजार रुपये में बनाए जा रहे ऐसे मैनुअल प्रमाणपत्र फर्जी हैं, क्योंकि इनका नगर निगम में रिकॉर्ड तक नहीं है। शासनादेश पर नगर निगम प्रशासन ने जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए अक्तूबर 2013 से ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की थी।
इससे पहले मैनुअल जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने में हेराफेरी के आरोप लगते रहे हैं। नगर निगम में 2009 से अक्तूबर 2013 के बीच बने ऐसे कई हजार जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों का रिकॉर्ड नहीं है आशंका है कि निगम के लिपिकों ने काफी प्रमाणपत्र फर्जी बनाए। उसी के कारण रिकॉर्ड भी खुर्द-बुर्द कर दिया गया।

यहां बनते थे मैनुअल प्रमाण पत्र :
अक्तूबर 2013 से पहले नगर निगम स्थित 53 नंबर दुकान, नगर स्वास्थ्य विभाग, कंकरखेड़ा, शास्त्रीनगर, जिला अस्पताल में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनते थे। निगम ने ऐसे प्रमाणपत्र बनाने के लिए लिपिक नकली सिंह, सुनील तैनात किए थे। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के लिपिक हरीश शर्मा कार्यरत थे। इन काउंटरों से बनाए गए काफी प्रमाणपत्रों का रिकॉर्ड निगम में नहीं है।

ये है नियम :
नियमानुसार प्रत्येक जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र का रिकॉर्ड निगम के रजिस्टर में अंकित होगा। ताकि जरूरत पड़ने पर उसका सत्यापन किया जा सके और प्रमाणपत्र की द्वितीय प्रति दी जा सके।
संवाददाता :- अक्षय कुमार

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