अपने मुस्लिम होने पर आती है शर्म, धर्म के नाम पर इस्लाम खेल रहा ‘मौत का खेल’

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवलजयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को मुस्लिम लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपना संबोधन दिया। हांलाकि उन्हे इसके बारे में जानकारी नहीं दी गयी थी इसके बावजूद भी वह समारोह में शामिल होने के लिए यहां पहुंची थी जहां उन्होने मुस्लिम धर्म के प्रति अपना दर्द बयां किया। बता दें कि एक दिन पूर्व भी वे बिना पूर्वनियोजित कार्यक्रम के ही लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंची थी। जहां उन्होने साहित्य के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते हुए कहा था कि ऐसे कार्यक्रमों में लोगों का जमावड़ा ही मुझे खींच लाता है।

जेएलएफ में अचानक पहुंची तसलीमा ने मुस्लिम धर्म के प्रति अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि महिलाओं पर होने वाले अपराध के मुद्दे पर वह जब कभी भी हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाई धर्म की को आड़ें हाथों लेती हैं तो कोई दिक्‍कत नहीं होती। लेकिन इस्‍लाम धर्म ही एक ऐसा अनोखा धर्म है जिसकी आलोचना करते ही उनके उलेमाओं द्वारा फतवा जारी कर दिया जाता है और उन्‍हें जान से मारने की धमकियां मिलने लगती हैं।

मुस्लिम लेखिका ने कहा कि अगर मेरी कही हुई बात उनको गलत लगती है तो इसके लिए वे तथ्‍य पेश करें। लेकिन ये लोग शांति से पेश न आकर इस्‍लाम की आलोचना करने वाले के खिलाफ फतवा जारी कर देते हैं और उसे जान से मारने की धमकियां मिलने लगती हैं। उन्होने कहा कि भारत एक स्वतंत्र देश है और जहां अभिव्यक्ति की आजादी की स्वतंत्रता है।

लेखिका ने कहा कि यदि मैं किसी भी धर्म के खिलाफ लिखती हूं तो ऐसे में सबसे ज्यादा आपत्ति मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों को ही होती है और मुस्लिम वोटबैंक के लिए कुछ नेता भी हम जैसे लेखकों को देश से बाहर निकालने का फरमान जारी कर देते हैं। उन्होने एक पुरान मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एक व्यक्ति ने मेरा सिर काटने वाले को मुंहमांगी रकम देने का ऐलान किया था और वह बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री का काफी करीबी था और वह शख्स बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बहुत अच्छा दोस्त भी है।

लेखिका ने आगे बताया कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने यह कहते हुए उनकी किताब पर बैन लगा दिया था कि इससे मुस्लिम वर्ग के लोग नाराज हो सकते हैं जबकि ऐसा नहीं था। इस किताब में तसलीमा नसरीन ने भारत में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की बात कही थी। जिसके बाद कुछ लेखकों ने भी एतराज जताया था।

उन्होने भारत में इनटॉलरेंस के मुद्दे पर कहा कि केवल सेक्‍युलर लोगों की हत्‍या होना ही इनटॉलरेंस नहीं है। सभी तरह के अपराध इस श्रेणी में आते हैं। महिलाओं के समर्थन में भी तसलीमा ने बोलते हुए कहा कि उन पर होने वाले अपराध भी इनटॉलरेंस है।

भारत है दूसरी पसंद

तस्‍लीमा ने कहा कि मैं पहली पसंद के रूप में अपने देश बांग्‍लादेश को ही हमेशा चाहुंगी। वहीं इसके उलट भारत मेरे लिए दूसरा एकमात्र विकल्‍प है। क्योंकि मैं जिस बंगाली में लिखती हूं वो भारत की बड़ी भाषाओं में से एक हैं। यहां मुझे घर जैसा लगता है।

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