जम्मू-कश्मीर पर केंद्र का करारा जवाब, युवाओं के हित में कही यह बात…

जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, पिछले 70 वर्षों में राज्य में कई आतंकी घटनाएं हुई। हुर्रियत नेताओं को घाटी में अशांति फैलाने के लिए आईएसआई से पैसे मिलते हैं।

जम्मू-कश्मीर

वे युवाओं को गुमराह कर आतंकी बनाने की कोशिश करते हैं और भारत के खिलाफ उकसाते हैं। लंबे समय से इन लोगों को रोकने की कोशिश नहीं हुई क्या हमें खामोश रहना चाहिए था? क्या हम अलगाववादियों और आतंकियों को इसकी इजाजत देते रहना चाहिए?

वेणुगोपाल ने कहा, राज्य में पहले का इतिहास देखते हुए धारा-144 लगाई गई। वहीं, जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि राज्य में लैंडलाइन फोन धीरे-धीरे बहाल किए गए। चार सितंबर को लैंडलाइन सेवा पूरी तरह बहाल हो गई।

महाराष्ट्र में आज फाइनल मींटिंग, उद्धव ठाकरे संभाल सकते हैं कमान…

मेहता ने याचिकाकर्ताओं पर सवाल उठाते हुए कहा, तीन वर्ष पहले आतंकी बुरहान बानी की मौत के बाद तीन महीने घाटी में मोबाइल सेवा बंद थी। तब क्यों नहीं आवाज उठाई गई? अब उनका स्टेंड बदल क्यों गया? मेहता ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी असीम नहीं हो सकती। देश की सुरक्षा के मद्देनजर इसकी तार्किक सीमा होती है।

जैसे अमेरिका मेें वहां का राष्ट्रीय ध्वज जलाना अपराध नहीं है, जबकि भारत में यह अपराध है। अमेरिका में दुष्कर्म पीड़िता का नाम प्रकाशित कर सकते हैं जबकि यहां इसकी अनुमति नहीं है।

जानिए किन राशियों के लिए अच्छा होने वाला है आज का दिन…

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा, हम जम्मू-कश्मीर के किसी हिरासती मामले की सुनवाई नहीं कर रहे। हम दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं जो अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद ने दायर की हैं। ये आवाजाही की स्वतंत्रता और प्रेस आदि से जुड़ी हैं।

 

LIVE TV