जब ईरान पर हमले की पूरी तैयारी हो चुकी थी, तो आखिरी समय पर ट्रंप ने क्यों बदल दिया फैसला?

ईरान के गुरुवार को अमेरिका के सर्विलांस ड्रोन को मार गिराने के बाद से ही दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव की स्थिति की आशंका बनती नजर आ रही थी. न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के खिलाफ गुरुवार को ही सैन्य स्ट्राइक करने की अनुमति भी दे दी थी लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने अपना फैसला पलट दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति की शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और कांग्रेस नेताओं के साथ चर्चा के बाद सैन्य और कूटनीतिक अधिकारी ईरान पर स्ट्राइक की उम्मीद कर रहे थे.

अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के रडारों और मिसाइल बैटरियों समेत ईरान के कुछ टारगेटों पर हमला करने की अनुमति दे दी थी.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, जब ट्रंप ने अपना फैसला पलटा तो ऑपरेशन अपने शुरुआती चरण में पहुंच चुका था. हवा में विमानों ने उड़ान भर ली थी और जहाज अपनी पोजिशन ले चुके थे लेकिन जब राष्ट्रपति का फरमान आया तो फिर कोई मिसाइल नहीं दागी गई.

अगर ट्रंप ने यू टर्न नहीं लिया होता तो शायद यह राष्ट्रपति ट्रंप की मध्य-पूर्व में तीसरा बड़ी सैन्य कार्रवाई होती. इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने 2017 और 2018 में सीरिया पर हमला किया था.

यह साफ नहीं हो सका है कि ट्रंप ने स्ट्राइक को लेकर अपना मन बदल लिया या फिर प्रशासन ने किसी रणनीतिक वजह से फैसला पलटा. यह भी तय नहीं है कि हमला अभी आगे हो सकता है या नहीं.

गुरुवार को ईरान ने अपनी सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल से अमेरिका के 13 करोड़ डॉलर की कीमत वाले एक सर्विलांस ड्रोन को मार गिराया था. अमेरिका इसी के जवाब में ईरान पर सैन्य स्ट्राइक करने की योजना बना रहा था.

अमेरिका शुक्रवार की सुबह ईरान पर स्ट्राइक करना चाह रहा था ताकि ईरान की सेना और नागरिकों को कम से कम नुकसान पहुंचे.

गुरुवार को अमेरिकी ड्रोन पर ईरान के हमले के बाद दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव चरम पर पहुंच गया. इससे पहले ट्रंप ने पिछले सप्ताह स्ट्रेट ऑफ होर्मूज में तेल टैंकरों पर हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन ईरान ने आरोपों को खारिज कर दिया था.

ईरान ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि वह 2015 के परमाणु समझौते से तय सीमा का उल्लंघन करते हुए यूरेनियम संवर्धन करेगा जिसके बाद तनाव और बढ़ गया. ट्रंप ने 2015 में ईरान व अन्य महाशक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते से यूएस को अलग कर लिया था और तेहरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देने का संकल्प लिया था. यूएस ने ईरान पर तमाम आर्थिक प्रतिबंध भी लागू कर दिए थे.
आर्थिक प्रतिबंध झेल रहे ईरान ने भी यूरोपीय देशों पर परमाणु समझौते को बचाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है. ईरान ने आर्थिक प्रतिबंधों का हल नहीं निकलने की स्थिति में अपना परमाणु कार्यक्रम शउरू करने की धमकी भी दी है.

गुरुवार को ट्रंप ने दावा किया कि यूएस का मानवरहित सर्विलांस ड्रोन अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में उड़ रहा था और ईरान की मिसाइल ने उस पर हमला कर दिया.

वहीं, ईरान की सरकार ने दावा किया कि अमेरिकी ड्रोन ईरान की वायुसीमा में प्रवेश कर गया था. यूएन सुरक्षा परिषद को लिखे पत्र में यूएन में ईरान के राजदूत मजीद तख्त रवांची ने कहा, ड्रोन ने रेडियो चेतावनी देने के बाद भी अनसुनी की जिसके बाद उसे मार गिराया गया. उन्होंने कहा कि तेहरान युद्ध नहीं चाहता है लेकिन वह अपनी जमीन, समुद्र और आसमान की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

डेमोक्रैट की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा, यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है. हम एक ऐसे देश के साथ निपट रहे हैं जो मध्य-पूर्व में सबसे दुष्ट खिलाड़ी है. हमें उनकी बैलेस्टिक मिसाइल को लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं है और ये भी छिपा नहीं है कि वे क्षेत्र में किसे सपोर्ट करते हैं.
ईरान के ड्रोन गिराने के कदम के बाद ट्रंप प्रशासन ईरान के प्रति ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने की तरफ आगे बढ़ सकता है जिसमें आतंकी संगठनों की मदद से रोकने के लिए ईरान पर सैन्य हमला का विकल्प भी शामिल है.

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हालांकि, ट्रंप सार्वजनिक तौर पर गंभीर सैन्य संकट से बचने की कोशिश करते नजर आते हैं. ड्रोन हमले के बाद ईरान के नेताओं पर सीधे आरोप लगाने के बजाय ट्रंप ने कहा कि किसी मूर्ख शख्स ने इस हमले को अंजाम दिया है. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह कुछ व्यक्तियों का काम है जिन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है जबकि ईरान ने खुले तौर पर स्ट्राइक की जिम्मेदारी ली और कहा कि अमेरिकी ड्रोन ईरान की वायुसीमा में उड़ रहा था.

ट्रंप ने कहा कि अगर ये मानवरहित विमान नहीं होता तो फिर इसके गंभीर नतीजे हो सकते थे. अमेरिकी पायलट के नहीं होने की वजह से बहुत बड़ा फर्क आ गया.

 

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